नई दिल्ली - बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेस्वर पांडे आजकल फिर सुर्ख़ियों में हैं। कल शाम उनकी एक तस्वीर वायरल हुई थी । गुप्तेश्वर पांडे श्रीमद् भागवत वचन अमृत कार्यक्रम में कथावाचक की भूमिका में दिख रहे हैं। कहा जा रहा है कि गेरुआ वस्त्र धारण करके गुप्तेश्वर पांडे अब कथावाचक बन गए हैं। बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने अचानक स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली थी। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार के नीतीश कुमार सरकार पर हमले को लेकर बिहार सरकार के बचाव के लिए सुर्खियों में रहे थे। चुनाव के पहले उन्होंने जेडीयू स्वाइन किया लेकिन टिकट नहीं मिली।
अब उनका बयान आया है जिसमे उन्होंने कहा है कि मेरे अंदर सफल राजनेता बनने की क्षमता नहीं है। मैं बन सकता तो अब तक बन गया होता। ऐसा DGP खोज के निकाल दीजिए जो विधायक का चुनाव लड़ने के लिए DGP पद से 6 महीने पहले इस्तीफा दे। मैं विधायक इसलिए बनना चाहता था कि कमज़ोर वर्ग के साथ खड़ा हो सकूं।
आपको बता दें कि इससे पहले गुप्तेश्वर पांडे ने 2009 में भी वीआरएस लिया था और उस समय वह लोकसभा चुनाव में उतरना चाहते थे। माना जाता है कि गुप्तेश्वर पांडे बिहार की बक्सर लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। गुप्तेश्वर पांडे को उम्मीद थी कि बक्सर से बीजेपी के तत्कालीन सांसद लालमुनि चौबे को पार्टी दोबारा से प्रत्याशी नहीं बनाएगी। लेकिन लालमुनि चौबे की वजह से उनका मंसूबा पूरा नहीं हो पाया था। सियासी अरमानों पर पानी फिरने के बाद गुप्तेश्वर पांडे ने दोबारा से नौकरी में वापसी करना ही मुनासिब समझा।
इस्तीफे के 9 महीने बाद गुप्तेश्वर पांडे ने बिहार सरकार से कहा कि वे अपना इस्तीफा वापस लेना चाहते हैं और नौकरी करना चाहते हैं। बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने उनकी अर्जी को स्वीकार करते इस्तीफा वापस कर दिया था। इस तरह से गुप्तेश्वर पांडे की पुलिस सर्विस में नौकरी में वापसी हो गई। 2009 में जब पांडे ने वीआरएस लिया था तब वो आईजी थे और 2019 में उन्हें बिहार का डीजीपी बनाया गया था।
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