नई दिल्ली - लगभग दो साल पहले किसी को दिल से सम्पन्धित बीमारी या कैंसर वगैरा होता है तभी अस्पतालों में चार-पांच लाख का बिल बनता था। अधिकतर लोगो का दो से तीन लाख में ही इलाज हो जाता था। सर्जरी भी हो जाती थी लेकिन अब कोरोना के कारण अस्पतालों में बिल का रूप बदल गया है। अधिकांश लोग मेडीक्लेम भी लाख दो लाख का ही करवाते थे। अब अस्पतालों में 10 से बीस लाख तक का बिल बनने लगा है और जरूरी नहीं कि मरीज ठीक ही हो जाए। ताजा मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से आ रहा है जहां टेंडर पाम नाम के निजी अस्पताल में अनिल नाम के युवक की पत्नी का इलाज चल रहा था। अस्पताल ने 19 लाख का बिल थमा दिया है।
अनिल का कहना है कि उन्होंने 8 लाख रूपये जमा भी कर दिया है। उनकी पत्नी दम तोड़ चुकी है। अस्पताल वाले 10 लाख 75 हजार रूपये और मांग रहे हैं। बिना ये पैसे जमा कराये वो उनकी पत्नी का शव नहीं दे रहे हैं। उन्होंने इसकी शिकायत डीएम से की है लेकिन अभी तक वहां से कोई कार्यवाही नहीं की गई है। अनिल का कहना है कि बहुत मेहनत कर अपनों से कर्ज लेकर उन्होंने 8 लाख रूपये जमा किये। अब उनके पास और पैसे नहीं हैं। वो 10 लाख 75 हजार रूपये कहाँ से लाएं, उनकी पत्नी भी अब नहीं रही।
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