नई दिल्ली - वैक्सीन ही कोरोना से बचाव का सबसे बड़ा हथियार है। ये देश की सरकार से लेकर देश के वैज्ञानिक और तमाम डाक्टरों का भी कहना है। बीच में वैक्सीन पर एक बड़े बाबा से सवाल उठाया और रामदेव से कहा कि 10,000 से अधिक डॉक्टरों की मौत तो वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद हो गई। बाबा को सत्ताधारी नेताओं का खास कहा जाता है इसलिए कोई कार्यवाही नहीं हुई। आम आदमी ऐसा कहता तो कई संगीन धाराओं में मामला दर्ज हो गया होता। बाबा के ऐसा कहने के बाद देश के लोग और डर गए और अब हर कोई वैक्सीन नहीं लगवा रहा है। वैक्सीन की बात करें तो उत्तर प्रदेश से एक अजीब खबर आ रही है।
यूपी की राजधानी लखनऊ में एक शख्स ने कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगवाने के बाद वैक्सीन बनाने वाली कंपनी के खिलाफ थाने में शिकायत कर दी। युवक का आरोप है कि उसके शरीर में एक तो एंटीबॉडी नहीं बनी ऊपर से उसके प्लेटलेट्स कम हो गए। शख्स ने आईसीएमआर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ राज्य और केंद्र के स्वास्थ्य अधिकारियों के ऊपर धोखाधड़ी व जान से मारने का प्रयास करने के आरोप लगाते हुए थाने में तहरीर दी है।
पूरा मामला लखनऊ के कैंट थाना क्षेत्र का है। यहां के प्रतापचन्द्र नाम के शख्स ने शिकायत दर्ज कराई है कि 8 अप्रैल को उसने कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज लगवाई थी। दूसरी डोज की तारीख 28 दिन बाद कि थी, जो 6 हफ्ते और बढ़ा दी गई।प्रतापचन्द्र ने अपनी तहरीर में आईसीएमआर के डायरेक्टर के एक बयान का जिक्र करते हुए कहा कि कोविडशील्ड वैक्सीन के पहले डोज के बाद शरीर में अच्छे लेवल की एंटीबॉडी बन जाती है। लेकिन पहली डोज लगने के डेढ़ महीने बाद यानि बीते 25 मई को जब एक सरकारी मान्यता प्राप्त लैब में कोविड एंटी बॉडी का टेस्ट कराया गया तो 2 दिन बाद सामने आई रिपोर्ट में पता चला कि शरीर में एंटी बॉडी न बनने के साथ ही प्लेटलेट्स में भी 50% की कमी आ गई है। युवक का कहना है कि उसकी किसी भी समय मौत हो सकती है। इसलिए उसने आईसीएमआर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ राज्य और केंद्र के स्वास्थ्य अधिकारियों पर जान से मारने का प्रयास करने का मामला दर्ज करने की शिकायत दी है।
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