नई दिल्ली - देश में कोरोना के मामले नए रिकार्ड बना रहे हैं। एक दिन में 1 लाख 85 हजार केस आने से हड़कंप मचा है तो कई राज्यों में इंजेक्शन और अस्पतालों में बेड के लिए मरीजों को धक्के खाने पड़ रहे हैं। बड़े लोग तो जान पहचान का फायदा उठा अस्पतालों में अपना इलाज करवा ले रहे है लेकिन आम लोग बेमौत मर रहे हैं। अब एक बड़ी जानकारी मिल रही है कि बड़ी सरकारी अस्पतालों में ऐसे नेता भी बेड का प्रबंध कर रहे हैं जिन्हे फिलहाल कोई इसकी जरूरत नहीं है।
वीआईपी कल्चर से तंग एम्स भुवनेश्वर के रेजिडेंट डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। डॉक्टरों ने पीएम से निवेदन किया है कि एम्स जैसे सरकारी अस्पतालों में नौकरशाहों, नेताओं और राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ताओं को इलाज में मिलने वाली तरजीह को खत्म किया जाए।
एम्स भुवनेश्वर के डॉक्टरों के एसोसिएशन ने पीएम को भेजी इस चिट्ठी में लिखा है कि अस्पतालों में सभी लाइफ सपोर्ट/ आईसीयू सेवाओं को वीआईपी, राजनेताओं और उनके पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए आरक्षित किया जा रहा है। इनमें से कई लोगों को इसकी जरूरत नहीं है और सिर्फ आइसोलेशन में रखकर ही उनका इलाज हो सकता है।
चिट्ठी में डॉक्टरों ने बताया है कि अस्पताल में वीआईपी काउंटर खोले जाने की बातें हो रही हैं। इतना ही नहीं ऐसे भी कई मामले आए हैं जिनमें कई राजनेताओं ने डॉक्टरों की ड्यूटी खत्म होने के बाद उन्हें अपने घर बुलाया है। डॉक्टरों का कहना है कि इन वजहों से डॉक्टरों की मानसिक पीड़ा बढ़ती है और कार्यस्थल पर उनकी क्षमता पर भी इसका असर पड़ता है।
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