विद्रोही ने भाजपा सरकार के इस किसान विरोधी रवैये की कठोर आलोचना करते हुए सवाल किया कि जब 16 हजार किसानों ने अपना गेहू सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था तो 4 हजार किसानों का गेंहू न खरीदना खुली धोखाधड़ी नही तो और क्या है? सरकार ने अपनी घोषित नीति से पीछे हटकर किसानों को लूटने-पीटने के लिए क्यों छोड़ा? भाजपा सरकार का यह रवैया जीवंत प्रमाण है कि उसकी कथनी-करनी में भारी अंतर है। किसान आंदोलन के दबाव में किसानों से ज्यादा गेंहू खरीदने का दावा तो किया गया, पर वह भी हवाई निकला।
विद्रोही ने कहा कि ऐसी स्थिति में किसानों का कृषि कानूनों को लेकर मोदी-भाजपा-संघी सरकार के प्रति अविश्वास जायज है। भाजपा सरकार की किसी बात पर किसान कैसे विश्वास करे जब सरकार अपनी कही हुई बात व घोषणा से मुकरने में एक क्षण भी नही लगाती। विद्रोही ने मांग की कि जिन किसानों ने सरकारी पोर्टल पर अग्रिम रजिस्ट्रेशन करवा रखा है, उनके गेंहू का एक-एक दाना सरकार एमएसपी पर खरीदे क्योंकि यह सरकार का संवैद्यानिक दायित्य है।
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