उन्होंने कहा कि चिकित्सकों के दिशा-निर्देशानुसार जिन लोगों को पात्रता अनुसार कोविड-19 का टीकाकरण करवाया जाना है। वह इस बात को गंभीरता से लें और अपना टीकाकरण जरूर करवाएं और इसकी दोनों डोज समय रहते जरूर ले। उल्लेखनीय है कि केंद्र सामाजिक न्याय अधिकारिता राज्य मंत्री ने गत 4 मार्च को अपनी टीकाकरण की पहली डोज ली थी और उसके उपरांत चिकित्सा जांच उपरांत आज 19 मार्च को उनकी दूसरी डोज उन्हें दी गई।
इस अवसर पर उनके निजी सचिव कौशल बाटला, समर्थक बाबूराम नम्बरदार, जयदेव ने भी टीका करण करवा के डोज ली। इस अवसर पर उन्होंने आमजन से अपील की है कि वे कोरोना महामारी के इस दौर में अपने खान-पान सहित अपनी दैनिक दिनचर्या में कोरोना से जुड़ी सावधानी का अवश्य ध्यान रखें और अपने अपने परिवार को इस संबंध में जागरूक करते रहे।
इस अवसर पर उन्होंने आमजन से यह भी अपील की कि वे कोरोना ग्रस्त होकर ठीक होने के उपरांत अपने आस-पास के लोगों को जरूरत पड़ने पर अपना प्लाज्मा डोनेट करने हेतु अवश्य आगे आए ताकि कोरोना काल में प्लाज्मा डोनेशन से अन्य लोगों को कोरोना के होने वाले बुरे प्रभाव से बचाया जा सके। जिसके अंतर्गत कोरोना मरीज को प्लाज्मा देने से न घबराएं। यह सेवा व दान के दृष्टिगत पूरी तरह सुरक्षित है। कोरोना मरीज को प्लाज्मा देने से न घबराए ओर खुद को एक सच्चा कोरोना वारियर्स के तौर पर समाज में स्थापित करें ताकि अन्य लोग भी आपके प्रयासों से प्रेरणा ले सके। वायरस की चपेट में आए मरीजों को ठीक करने के लिए प्लाज्मा थेरेपी को चिकित्सा के तौर पर सफलता के साथ अपनाया जा रहा है। जिसके तहत कई कोरोना के मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी जा चुकी है। काफी मामलों में इसके परिणाम भी सकारात्मक मिले हैं। यही वजह है कि समय व जरूरत पड़ने पर कोरोना मरीजों के परिजन प्लाज़्मा डोनर की तलाश करते दिखाई दे रहे हैं। जबकि प्लाज्मा दान करने के लिए लोग आगे नहीं आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि हमारे खून में चार प्रमुख चीजें होती हैं: डब्ल्यूबीसी, आरबीसी, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा; आजकल किसी को भी होल ब्लड (चारों सहित) नहीं चढ़ाया जाता बल्कि इन्हें अलग-अलग करके जिसे जिस चीज की ज़रूरत हो वो चढ़ाया जाता है। प्लाज्मा, खून में मौजूद 55 फीसदी से ज्यादा हल्के पीले रंग का पदार्थ होता है। जिसमें पानी, नमक और अन्य एंजाइम्स होते हैं। ऐसे में किसी भी स्वस्थ मरीज जिसमें एंटीबॉडीज़ विकसित हो चुकी हैं, का प्लाज़्मा निकालकर दूसरे व्यक्ति को चढ़ाना ही प्लाज्मा थेरेपी है। जो लोग कोरोना होने के बाद ठीक हो चुके हैं। उनके अंदर एंटीबॉडीज विकसित हो चुकी होती हैं सिर्फ वे ही लोग ठीक होने के 28 दिन बाद प्लाज्मा दान कर सकते हैं। प्लाज्मा देने वाले को कोई खतरा नहीं है, बल्कि यह रक्तदान से भी ज्यादा सरल और सुरक्षित है। प्लाज्मा दान करने में डर की कोई बात नहीं है। हीमोग्लोबिन भी नहीं गिरता. प्लाज्मा दान करने के बाद सिर्फ एक-दो गिलास पानी पीकर ही वापस पहली स्थिति में आ सकते हैं। रक्तदान में आपके शरीर से पूरा खून लिया जाता है, जबकि प्लाज्मा में आपके खून से सिर्फ प्लाज्मा लिया जाता है और रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स वापस आपके शरीर में पहुंचाए जाते हैं। ऐसे में प्लाज्मा दान से शरीर पर कोई बहुत फर्क नहीं पड़ता।
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