नई दिल्ली - भारत में कोरोना की सुनामी का खौफनाक मंजर देखने को मिल रहा है। एक दिन में पहली बार 3647 मौतें और 3.80 लाख नए केस सामने आया है। अभी तब लोग अपने घर के बुजुर्गों को वृद्धाश्रम छोड़ कर आते देखे जाते थे अब रिश्तों में बहुत ज्यादा दूरियां देखी जा रहीं हैं। जानकारी मिल रही है कि कोरोना से निधन के बाद लोग अपनों के शवों को सूनसान जगह पर छोड़कर भाग जा रहे हैं। झारखण्ड में रात के अंधेरे में एंबुलेंस चालक ने सड़क के किनारे युवक का शव फेंककर फरार हो गया। देश में तमाम ऐसे मामले अब सामने आने लगे हैं।
कई जगहों से सूचना आ रही है कि लोग अपने किसी परिजन को अस्पताल में भर्ती करवा चले जा रहे हैं और अपना नाम पता गलत लिखवा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ कड़कड़डूमा के डॉ. हेडगेवार आरोग्य अस्पताल से 23 अप्रैल को गोविंदपुरी थाना पुलिस को सूचना दी गई कि उनके यहां भर्ती 62 वर्ष के अशोक कुमार की मौत हो गई है। उन्हें किसी ने बेहोशी हालत में भर्ती किया था, लेकिन अब उनके साथ कोई नहीं है। उनके परिजन तुगलकाबाद में रहते हैं, जो उन्होंने भर्ती के समय पता लिखाया था। पुलिस टीम अस्पताल द्वारा दिए पते पर गई, लेकिन वहां कोई नहीं था। जांच में सामने आया कि अशोक को उनकी बेटी ने भर्ती किया था और उसने पता गलत लिखाया था। पुलिस उनकी बेटी को नहीं ढूंढ पाई। पुलिस की जांच में सामने आया कि मृतक एक सुरक्षाकर्मी था। घर वालों का पता नहीं लगने पर पुलिस ने सराए काले खां स्थित श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया।
दिल्ली के गोकुलपुरी इलाके में दो दिन पहले एक युवक की मौत हो गई। गोकुलपुरी थाना पुलिस मौके पर पहुंची तो परिजनों ने बताया कि युवक सोनू की मौत बुखार से हुई है। उसे कई दिनों से बुखार था। पुलिस ने सोनू के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल पहुंचाया। लेकिन इस दौरान उसके परिजनों ने अस्पताल चलने और शव को हाथ लगाने से साफ मना कर दिया। परिजनों में सोनू की मां, पत्नी और उसके भाई व उनके परिवार भी शामिल थे। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवा दिया और परिजनों को शव ले जाने के लिए सूचना दी। लेकिन परिजनों ने शव लेने से मना कर दिया। शव दो दिन तक अस्पताल में ही पड़ा रहा, जिसके बाद पुलिस ने अंतिम संस्कार किया।
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