नई दिल्ली -शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश के तमाम माफियाओं ने आपदा में अवसर ढूंढ लिया है और जमकर लूट खसोट जारी है। शिक्षा की बात करें तो हाल में एक निजी स्कूल में हंगामा हुआ और देखा गया कि बाहर 15 रूपये की कॉपी स्कूल के अंदर 300 रूपये की बेंची जा रही है। ऐसा एक दो नहीं हजारों निजी स्कूलों में हो रहा है। सरकार का पूरा ध्यान इन दिनों चुनाव जीतने में लगा है जबकि कई बड़े शहरों की अस्पतालें भरी पडी हैं और यही नहीं शमशान घाट में भी जगह नहीं है।
जानकारी मिल रही है कि देश के कई शहरों में कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। ऐसे में संक्रमितों के परिजनों को भटकना पड़ रहा है। दिल्ली, लखनऊ और मुंबई जैसे शहरों में इंजेक्शन ब्लैक में मिल रहा है। लगभग 1500 से 4 हजार रुपये की कीमत वाले इस इंजेक्शन को लोग बाजार में पांच से लेकर 10 हजार रुपये तक खरीदने में मजबूर हैं। मेडिकल स्टोरों पर इस इंजेक्शन के लिए लाइन लगी है और स्टॉक ख़त्म होने की बात कही जा रही है।
निजी अस्पतालों की बात करें तो कई शहरों में हाउसफुल हैं। बेड खाली नहीं हैं और जो मरीज अस्पतालों में दाखिल हैं उनसे कई गुणा ज्यादा बिल लिया जा रहा है। कोरोना की आड़ में प्राइवेट अस्पतालों ने भी मरीजों से मोटी वसूली शुरू कर दी है। संक्रमित मरीजों से उपचार के नाम पर मोटा पैसा लिया जा रहा है। आम आदमी ही नहीं, सरकारी कर्मचारियों व पेंशनरों को भी कई प्राइवेट अस्पतालों ने नहीं बख्शा।
हरियाणा में मामला पकड़ में आने के बाद स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा की महानिदेशक डॉ़ वीणा सिंह ने इस पर नोटिस लिया है। उन्होंने सभी जिलों के सीएमओ को हिदायतें जारी की हैं। प्राइवेट अस्पतालों के प्रतिपूर्ति बिलों पर यह कहते हुए रोक लगा दी गई है कि सरकार द्वारा तय उपचार की दरों से अधिक का भुगतान नहीं होगा। प्रदेश में 530 प्राइवेट एवं सरकारी अस्पताल सरकार के पैनल में हैं। इन अस्पतालों में उपचार कराने वाले सरकारी कर्मचारियों और उनके आश्रितों तथा पेंशनर्स के लिए 1340 बीमारियों के पैकेज बने हुए हैं। कोविड मरीजों को भी आयुष्मान भारत योजना में शामिल कर संक्रमित लोगों को पैनल के अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा दी गई है। अधिक बिलों का भुगतान ले चुके प्राइवेट अस्पतालों से रिकवरी के आदेश भी डॉ. सिंह ने दिए हैं।
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