फरीदाबाद - 19 मार्च 2021 -स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने हरियाणा भाजपा-जजपा सरकार द्वारा गुरूवार को विधानसभा में भारी हंगामे के बीच बिना किसी चर्चा के ध्वनिमत से सम्पत्ति क्षति वसूली विधेयक पारित करने की कठोर आलोचना करते हुए इसे अलोकतांत्रिक, अभिव्यक्ति की स्वतत्रंता को कुलचने व विरोध करने के अधिकार को छीनने का कुप्रयास बताया। विद्रोही ने कहा कि सरकार की किसी भी नीति, कार्यक्रम का विरोध करना भारत के हर नागरिक का संवैद्यानिक व लोकतांत्रिक अधिकार है जिसे सत्ता दुरूपयोग या किसी संविधान विरोधी कानून से छीना नही जा सकता। किसान आंदोलन से डरी, घबराई भाजपा-जजपा खट्टर सरकार आंदोलन को कुचलने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व विरोध के अधिकार को छीनने का सत्ता दुरूपयोग से हरसंभव कुप्रयास कर रही है। गुरूवार को विधानसभा में बिना चर्चा के भारी हंगामे के बीच ध्वनिमत से सम्पत्ति क्षति वसूली विधेयक जैसा काला व अलोकतांत्रिक कानून पास करना बताता है कि संघी देश में लोकतंत्र को कुचलकर फासीजम लाना चाहते है।
विद्रोही ने कहा कि भाजपा कुकृत्यों, जनविरोधी फैसलों के चलते आज प्रदेश के किसी भी गांव में घुस नही सकते, सामाजिक व राजनीतिक कार्यक्रम में हिस्सेदारी नही कर सकते। आमजन व किसानों ने भाजपाईयों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है जिससे बौखलाएं हताश व डरे हुए भाजपाई व जजपा सत्ता दुरूपयोग से लोगों को डराना-धमकाना चाहते है, तभी सम्पत्ति क्षति विधेयक वसूली ज्ैसो काला कानून विधानसभा में पारित किया है। इस कानून के बाद हरियाणा के किसी भी शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक, संवैद्यानिक प्रदर्शन को सरकार हिंसक प्रदर्शन बताकर प्रदर्शनकारियों से करोड़ों रूपये हर्जाने के रूप में वसूलने का कानूनी अधिकार मिल जायेगा जो अभिव्यक्ति की स्वत्रतंत्रा व विरोध-प्रदर्शन के अधिकार को छीनने के समान होगा।
विद्रोही ने कहा कि भाजपा जब सत्ता दुरूपयोग से पुलिस सरंक्षण में साम्प्रदायिक दंगे करवाने से बाज नही आ रही है तो किसी भी शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक, गांधीवादी प्रदर्शन को हिंसक बनाने में भाजपाई-संघीयों को क्या परेशानी होगी। भाजपा सत्ता दुरूपयोग व पुलिस की मिलीभगत से किसी भी प्रदर्शन में अराजक तत्वों को भेजकर उसे हिंसक बनाकर हिंसा का सारा ठीकरा प्रदर्शनकारियों पर थोपने के षडयंत्र रचकर उनसे जुर्माना वसूलकर उनकी आवाज को कुचलने की फिराक में है। किसी भी प्रदर्शन के कथित रूप से हिंसक होने पर उसमें भाग लेने वाले हर प्रदर्शनकारी से एक-एक करोड़ रूपये का जुर्माना वसूलना कैसे उचित है? किसी प्रदर्शन के कथित रूप से हिंसक होने पर आयोजकों को जवाबदेह बनाकर उनसे सम्पत्ति क्षति पूर्ति के नाम पर सरकार को करोडों रूपये वसूलने का अधिकार इस कानून से मिल गया।
विद्रोही ने कहा कि संविधान व सुप्रीम कोर्ट अनुसार हर शांतिपूर्ण प्रदर्शन को सुरक्षा देना सरकार का संवैद्यानिक दायित्व है, पर हरियाणा में तो भाजपा उल्टी गंगा बहा रही है। यदि किसी प्रदर्शन की सुरक्षा के लिए पैरा मिल्ट्री फोर्स व दूसरे राज्य से पुलिसकर्मी बुलाने पडे तो उसका खर्चा भी प्रदर्शनकारियों व आयोजकों से वसूलने का इस कानून में प्रावधान किया है। भाजपा सरकार ने सम्पत्ति क्षति पूर्ति वसूली कानून के माध्यम से एक तरह से प्रदेश में अघोषित अपातकाल थोपकर आमजनों के सभी लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लिया है। इस काले कानून के माध्यम से संघीयों ने भारत के लोकतंत्र को बनाना रिपब्लिक में बदल दिया है। विद्रोही ने हरियाणा के लोगों से अपील की कि इस सरकार द्वारा बनाये गए सम्पत्ति क्षतिपूर्ति जैसे काले कानून का जोरदार विरोध तब तक करे, जब तक इस काले कानून को रद्द नही किया जाता।
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