बाबैन, 9 मार्च राकेश शर्मा- सरकार व अन्य समाजसेवी संस्थाओं द्वारा विश्व महिला दिवस को मनाने के दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं। मजदूरी का कार्य करने वाली महिलाओं को महिला दिवस के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं हैं। विश्व महिला दिवस से अनजान ग्रामीण क्षेत्र की अनेक महिलाए अपनी रोजी रोटी के लिए रोजमर्रा की मजदूरी के कार्यों में ही संलिप्त दिखाई देती है। महिला दिवस का गुणगान करने वाली संस्थाओं ने भी कभी नहीं सोचा है कि वे महिलाओं के मजदूरी करने वाले मंडियों जैसे स्थानों पर जाकर महिलाओं को उनके अधिकार के प्रति जागरुक करे। मजदूरी करनी वाली महिलाओं को ज्ञान और विश्व महिला दिवस के महत्व से अवगत करवा सके ताकि महिलाओं के लिए यह दिन सार्थक हो सके।
सरकार द्वारा मनाया जा रहा अंतराष्ट्रीय महिला दिवस ग्रामीण क्षेत्रों में केवल कागजो और विज्ञापनों तक ही सिमट कर रह गया है। महिला दिवस के अवसर पर उच्च श्रेणी की सशक्कत व सरकारी नौकरी पेशा में कार्यरत्त महिलाएं तो इस दिवस की महत्ता के बारे में कुछ ज्ञान रखती हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को इसका कुछ भी ज्ञान नहीं है। महिला दिवस से अनजान अनेक महिलाएं बाबैन की अनाज मंडी में रोजाना की तरह आकर दिहाडी मजदूरी करती रही। अनाज मंडी में मजदूरी का कार्य कर रही दर्जनों महिलाओं का कहना है कि उन्हें महिला दिवस के बारे में कुछ भी नहीं पता है। उनका कहना है कि उन्हें तो सिर्फ यह पता है कि उन्हें सुबह दिहाडी पर आना है और पूरा दिन आलू भरने का कार्य कर शाम को पैसे लेकर अपने परिवार का पालन पोषण करना है।
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