नई दिल्ली -देश की बड़ी पार्टियां जब विपक्ष में रहती हैं तो पार्टियों के नेता बड़ी-बड़ी बातें भी करते हैं , उन्हें मंहगाई डायन लगती है और जब सत्ता में होते हैं तो उन्हें मंहगाई शायद कुछ खास लगने लगती है इसलिए मंहगाई बढ़ने पर खामोश रहते हैं। इसी तरह कुछ लोग आरक्षण को लेकर दशकों से आवाज उठा रहे हैं और आरक्षण ख़त्म करने की भी बात करते हैं। कहते हैं आरक्षण देश को खोखला कर रहा है और कम पढ़े लिखे लोग आरक्षण के कारण बड़ी नौकरी पा जाते हैं और इससे वो अच्छी तरह से काम नहीं कर पाती क्यू कि उनमे योग्यता नहीं होती और फिर सरकार का नुक्सान होता है।
बात करें आरक्षण की तो जानकारी मिल रही है कि हरियाणा के हजारों छोटे बड़े उद्योगपति उस दिन से परेशान हैं जिस दिन से प्रदेश में 75 फीसदी आरक्षण का एलान किया गया। निजी कंपनियों को स्थानीय युवाओं को वरीयता देनी पड़ेगी और हर चार में से तीन नौकरी स्थानीय युवाओं को देनी होगी।
फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि सरकार के इस नियम के कारण हमें अब कुशल कारीगरों के बजाय उन्हें नौकरी देनी पड़ेगी जो कुछ जानते ही नहीं हैं और ऐसे लोगों को नौकरी देने के बाद हमारा काम धंधा चौपट हो जायेगा। कंपनी मालिकों का कहना है कि स्थानीय युवाओं में से अधिकतर युवा अपने खेतों में काम नहीं करते हमारी कंपनी में कैसे करेंगे और हमारी कंपनी में जब ऐसे युवा लगेंगे तो बवाल भी संभव है क्यू कि हम उनसे काम करने के लिए कहेंगे तो वो हमें बाहर देख लेने की धमकी देंगे।
कंपनी मालिकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हरियाणा के लोग फैक्ट्रियों में मजदूरी नहीं करते हैं, ऐसे में उद्योगों में मजदूरों का संकट आ जाएगा। आज भी ज्यादातर फैक्ट्रियों में बाहर हेल्पर की जरूरत के बोर्ड लगे हैं। मजदूर यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल से ही आते हैं। कुछ काम ऐसे हैं जो हरियाणा के युवा नहीं कर पाते हैं। इस तरह से राज्यों को नहीं बांटना चाहिए। दूसरे प्रदेश भी ऐसा करेंगे तो दिक्कत बढ़ जाएगी। उद्योगपति बहुत दुखी हैं खुलकर कुछ बोल नहीं रहे हैं डर है कि खुलकर बोलेंगे तो इनकम टैक्स विभाग को भेज दिया जाएगा। कई अन्य और तरीकों से उन्हें परेशान किया जाएगा।
कंपनी मालिकों का कहना है कि हरियाणा में आरक्षण वाली खबर अगर यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उड़ीशा जैसे राज्यों तक पहुँच गई तो वहाँ के लोग हरियाणा आना बंद कर देंगे और हमें मजदूर नहीं मिलेंगे और जिस कारण हमारा कामकाज चौपट हो जाएगा। उद्योगों की एक संस्था के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कॉरोनाकाल में हमारे तमाम उद्योगपति लगभग बर्बाद हो गए। उसके बाद लगभग 100 दिन से चल रहे किसान आंदोलन के कारण हमारे सोनीपत, बहादुरगढ़ और दिल्ली के बार्डर पर उद्योग चला रहे हजारों उद्योगपति बर्बाद हो गए। मजदूर अपने प्रदेशों में जा चुके हैं और इस खबर से अब वो शायद ही वापस आएं। यहाँ के लोगों को मजबूरन रखना पड़ेगा जो शायद ही काम करें।
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