चण्डीगढ़, 10 मार्च - हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज फिर स्पष्ट किया कि प्रदेश में फसलों की खरीद पहले की भांति न्यूनतम समर्थन मूल्य पर जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मंडी सिस्टम जारी रहेगा और भविष्य में मंडियों को और अधिक मजबूत तथा आधुनिक बनाया जाएगा।
बजट सत्र के दौरान कांग्रेस पार्टी द्वारा सदन में लाए गये अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से ठीक पहले मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने सदन में अपना जवाब देते हुए कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गये तीनों कृषि कानून वैकल्पिक हैं और किसी भी प्रकार से बाध्य नहीं हैं।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि हम पहले दिन से सरकार को सेवा का माध्यम मानते हुए समाज के हर वर्ग चाहे किसान, कर्मचारी, युवा, व्यवसायी, व्यापारी, मजदूरों के हितों की चिंता की है और उनके लिए अनेक कल्याणकारी कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पहले दो वर्षों में उन्होंने 90 की 90 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया और बिना किसी पक्षपात के हर क्षेत्र के लिए अनेक विकासात्मक घोषणाएं की।
उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार द्वारा 10 फसलों की एमएसपी पर खरीद की जा रही है। उन्होंने कहा कि कोई भी पड़ोसी राज्य ऐसा नहीं है, जहां पर इतनी फसलों की खरीद एमएसपी पर की जाती है। पंजाब के सत्ता पक्ष के विधायक श्री नवजोत सिंह सिद्धू ने हरियाणा में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही फसल खरीद की सराहना भी की है। उन्होंने कहा कि गत वर्ष 50 प्रतिशत से अधिक किसानों को सीधा उनके खाते में भुगतान किया गया था, जबकि इस वर्ष शत प्रतिशत भुगतान सीधा किसानों के खाते में किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बेरोजगारी दर के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए सदन को अवगत करवाया कि निजी संस्थान सीएमआई द्वारा हरियाणा में 2020 में बेरोजगारी दर 23.7 प्रतिशत दर्शाई गई है, जबकि राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन के सर्वे में मात्र 7 प्रतिशत है। उन्होंने सदन से निवेदन करते हुए कहा कि भविष्य में सीएमआई संस्था के आंकड़ों पर भरोसा न करें। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता श्री भूपेन्द्र सिंह हुडडा ने कहा कि खाद और उर्वरक पर टैक्स 28 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है जबकि आज भी हरियाणा में खाद और उर्वरक पर टैक्स 5 प्रतिशत ही है।
किसानों के हित में किए गये कार्यों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा 19 प्रकार की सब्जियों और फलों को भावांतर भरपाई योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 1000एफपीओ बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसमें से 486 एफपीओ बन गये हैं। उन्होंने कहा कि किसान कै्रडिट कार्ड की तर्ज पर आरम्भ की गई पशुधन कै्रडिट कार्ड योजना के अन्तर्गत 1,07,000 किसानों का रजिस्ट्रेशन किया गया है। सूक्षम सिंचाई योजना के अन्तर्गत चार जिलों में विशेष अभियान चलाया गया है तथा सूक्ष्म सिंचाई यंत्रों की खरीद पर 85 प्रतिशत तक सबसिडी देने की योजना बनाई गई है ताकि जल संरक्षण किया जा सके। इसी प्रकार कृषि यंत्रों पर 75 से 85 प्रतिशत तक अनुदान देने का प्रावधान किया गया है।
किसान आंदोलन पर बोलते हुए मनोहर लाल ने कहा कि किसान किसी भी प्रदेश के हो, हमारे भाई हैं और किसी भी स्थिति में उनके खिलाफ फोर्स का प्रयोग नहीं किया जाएगा। मनोहर लाल ने कहा कि उन्हें दुख है कि लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं बनाने के लिए विपक्ष अपना योगदान देने में नाकाम रहा है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी को सचेत करते हुए कहा कि कांग्रेस का राजनैतिक भविष्य गर्त में जा रहा है। प्रदेश की 2.80 करोड़ जनता मेरा परिवार है उनका देखभाल करना मेरी नैतिक जिम्मेदारी है।
किसान आंदोलन के दौरान हुए आर्थिक नुकसान का जिक्र करते हुए श्री मनोहर लाल ने कहा कि एक आकलन के अनुसार तीन महीने में 11,500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन से किसी को लाभ नहीं होने वाला है। विपक्ष इसे उकसाने की बजाए आंदोलन को खत्म करवाने का प्रयास करे।
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