12 मार्च 2021- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर द्वारा वर्ष 2021-22 के लिए प्रस्तुत बजट को रूटीन का ऐसा सामान्य बजट बताया जिसमें विकास, रोजगार, नागारिक आधारभूत ढांचे की मजबूती के दावे-वादे तो किये गए है, पर उनके लिए न तो पर्याप्त बजट है और न ही कोई निश्चित दिशा है। विद्रोही ने बजट को निराशाजनक बताया जिससे प्रदेश के किसी भी क्षेत्र में विकास व नये रोजगार की कोई संभावना नही है। मुख्यमंत्री ने दक्षिणी हरियाणा के लिए स्वीकृत प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान मनेठी एम्स की अपने बजट भाषण में चर्चा तक नहीे की जो बताता है कि भाजपा खट्टर सरकार की मनेठी-माजरा में एम्स बनाने की नीयत में खोट है। यदि मुख्यमंत्री एम्स निर्माण के प्रति गंभीर होते तो माजरा के किसानों की जमीन अधिग्रहण करने की बजट घोषणा करते जो नही हुई। इसी तरह गोठडा-पाली सैनिक स्कूल भवन निर्माण के लिए भी बजट में कोई चर्चा नही है। मुख्यंमत्री ने दक्षिणी हरियाणा के विकास के लिए बजट में कोई उल्लेख नही किया। रेवाड़ी में नर्सिग संस्थान खोलने की घोषणा विगत चार सालों से बजट में हो रही है, जिसे प्रदेश में 6 नर्सिंग संस्थान खोलने के साथ फिर दोहरा दी गई। विद्रोही ने कहा कि विगत पांच साल से मुख्यमंत्री जिन जिलों में मेडिकल कालेज बनाने की घोषणा हर बजट में करते है, इस बार भी दोहरा दी गई। दक्षिणी हरियाणा के भक्त फूलसिंह महिला विश्वविद्यालय के रीजनल सैंटर कृष्ण नगर, इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय मीरपुर व भागरौला-काकारौला विश्वविद्यालय के विस्तार की न कोई चर्चा है और न ही बजट प्रावधान। बुजुर्गो की पैंशन 2500 रूपये मासिक की गई है जबकि जजपा का बुढ़ापा पैंशन 5100 रूपये मासिक करने का जो वादा था, वह सरकार का कार्यकाल समाप्त होने तक पूरा नही होने वाला। वर्ष 2020-21 के 137738 करोड़ रूपये बजट तुलना में 2021-22 बजट 13 प्रतिशत बढ़ाकर 155645 करोड़ रूपये किया गया है जो एक सामान्य बढोतरी है जिसमें अधिकाश बढ़ा पैसा सरकारी कर्मचारियों के वेतन व सरकारी खर्च में व्यय हो जायेगा। इस तरह नये विकास के लिए पूर्व की तुलना की बजट में कोई बढोतरी नही दिखती है।
विद्रोही ने कहा कि मुख्यमंत्री कृषि व किसानों के विकास व किसान आय दोगुना करने के दमगज्जे तो बजट में ठोके, पर किसान आय दोगुना कैसे होगी व किसान हित कैसे होगा, इसकी न कोई रूपरेखा है और न ही कोई बजट प्रावधान है। दक्षिणी हरियाणा में जिस तरह से लगातार भू-जलस्तर गिर रहा है, उसमें सुधार के लिए दावे तो किए है पर ऐसा कुछ भी बजट में ठोस रूप ने नही किया गया जिससे भू-जलस्तर रिचार्ज होकर ऊपर उठ सके। प्रदेश में बेरोजगारों को दिलासा तो दी गई है, पर नये रोजगार की संभावना नही है। कोरोना संकट काल में लोगों की सहायता करने के लिए मुख्यमंत्री ने दमगज्जे मारे, पर जमीन पर उन दावों का क्या हुआ यह प्रदेश का हर व्यक्ति जानता है। जल प्रबंधन व जलसरंक्षण, नहर सुधार द्वारा ज्यादा नहरी पानी देने का वादा हर बार ही तरह इस बार भी किया है। विद्रोही ने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य, कृषि, व बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, सिंचाई, रेल, सड़क परियोजनाओं के विकास के दावे ठोके, पर न तो इन दावों की पूर्ति के लिए बजट है और न ही कोई स्पष्ट दिशा। कुल मिलाकर यह बजट रूटीन का ऐसा निराशाजनक बजट है जिसमें न प्रदेश के विकास की दिशा है, न ही नये रोजगार के अवसर है, न ही किसान, मजदूर, गरीब, युवाओं, महिलाओं, पिछले, दलितों के लिए कोई विशेष प्रावधान है। दावों, वादों, जुमलों के सिवाय बजट में ऐसा कुछ नही है जिसे उपलब्धि के रूप में वर्णित किया जा सके। मुख्यमंत्री ने ढाई घंटे से ज्यादा समय तक बजट भाषण तो ठोका जिस पर यही कहावत चरितार्थ होती है कि थोथा चना बाजे घणा।
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