नई दिल्ली - भारत के अधिकतर लोग खुश नहीं हैं जिसके कारण कई बड़े कारण हैं। व्यक्तिगत आजादी, सामाजिक सुरक्षा, भ्रष्टाचार जैसे मामलों को लेकर वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट-2021 के परिणाम आज घोषित हो गए. इस लिस्ट में एक बार फिर से फिनलैंड ने सभी देशों को पछाड़कर खुशहाली के स्तर पर बाजी मारी है। ये देश लगातार चौथी साल सबसे खुशहाल देश बना है। भारत करें भारत की तो काफी शर्मशार कर देने वाली खबर है। वर्ल्ड हैपीनेस रिपोर्ट-2021 में भारत को 149 देशों में 139वां स्थान मिला है जबकि भारत से बेहतर कुछ पड़ोसी देश हैं।
चीन पिछले साल इस सूची में 94वें स्थान पर था, जो अब उछलकर 19वें स्थान पर आ गया है। नेपाल 87वें, बांग्लादेश 101, पाकिस्तान 105, म्यांमार 126 और श्रीलंका 129वें स्थान पर है। कोरोनाकाल में भारत के लोग सडकों पर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलते देखे गए। सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। लोग इधर-उधर भागते रहे। देश के समाजसेवियों ने अगर कॉरोनाकाल के शुरुआत में मोर्चा न सम्भाला होता तो हालात और खराब हो सकते थे। व्यक्तिगत आजादी की बात करें तो देश में कुछ लिखने, बोलने वालों पर पहरा लगा दिया गया है। गड़े हुए मुर्दे उखाड़कर उन पर मामले थोपे जाते हैं। सरकार की हाँ में हाँ न मिलाने पर ईडी और आयकर विभाग को इस्तेमाल किया जाता है। देश की जनता नाखुश है जिसके सैकड़ों कारण हैं। समझदार लोग समझ सकते हैं।
कॉरोनकाल में बड़े लोग ही खुश हुए। तेल वगैरा का दाम बढाकर ये सबको पता है। शिक्षा बाजारू हो चुकी है। तकरीबन हर घर के लोग दुखी हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र की बात करें तो कॉरोनकाल में हरियाणा के फरीदाबाद जिले के एक विधायक के बड़े भाई का दर्द छलका था और उन्होंने एक अस्पताल पर बड़ा आरोप लगाया था और कहा था कि मामूली बुखार के बाद अस्पताल गए थे और न जानें कैसी दवा दी गई कि बुखार राकेट की रफ़्तार से बढ़ गया और जिंदगी मुश्किल से बची। इस क्षेत्र में भी बड़ा खेल शायद खेला जा रहा है।
तीन दशक पहले ग्रामीण अनपढ़ महिलाएं चिट्ठी लिखवाती थीं तो अंत में लिखवाती थीं कि लिख दो, लिखना कम समझना ज्यादा , बहुत कम में बहुत कुछ आप समझ सकते हैं -149 देशों में 139वां स्थान मिलने का मतलब है कि देश के अधिकतर लोग रो रहे हैं। खुश नहीं हैं।
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