नई दिल्ली - कैसे भी हो, निजी स्कूल में पढ़कर या सरकारी स्कूल में पढ़कर देश के अधिकतर लोग शिक्षित हैं और चार महीने से चल रहे किसान आंदोलन में जब कोई किसान हलवा पूड़ी खाते दिखता है तो उस पर सवाल उठाये जाते हैं। जानकारी के मुताबिक़ देश भर में सेना हो या पुलिस, 70 फीसदी से ज्यादा किसानों के बच्चे देश की सेवा और सुरक्षा कर रहे हैं। वर्तमान में किसान भी पढ़े लिखे हैं और ऐसे समय में जब कोई नेता उन्हें बेवकूफ बनाता है तो उनका आक्रोश जायज है। नेता समझते हैं कि गरीब किसान कुछ नहीं जानते उन्हें बेवकूफ बना सत्ता बरक़रार रखी जा सकती है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह जिनके सुपुत्र भाजपा के सांसद हैं। किसान आंदोलन के बाद वो दो नावों पर पैर रखते दिखे। किसानों के साथ दिखे और भाजपा उन्होंने छोड़ा नहीं। उन्हें शायद लगता था कि किसान बेवकूफ और अनपढ़ हैं। वो कुछ समझ नहीं पाएंगे। आज पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह का जन्मदिन है और आज सांपला में छोटूराम संग्रहालय में उनके जन्मदिन पर निकाली गई मोटरसाइकिल रैली का किसानों ने काले झंडे दिखाकर विरोध किया। रैली किसान आंदोलन के समर्थन में निकाली गई थी। एकाएक माहौल तनावयुक्त हो गया।
बीरेंद्र सिंह किसानों का समर्थन कर रहे हैं ऐसे में कम ही उम्मीद थी कि उनका विरोध किया जाएगा। रैली के शुरू होते ही बहुत से लोग हाथों में काले झंडे लेकर आ गए और रैली का विरोध करना शुरू कर दिया। दोनों ही तरफ से समर्थक आपस में न भिड़ जाएं इसे लेकर पुलिस भी मौके पर पहुंची और हालात को काबू में करने का प्रयास किया। बीरेंद्र सिंह भी इस दौरान काफी परेशान नजर आए। उन्हें दोगला कहा गया। लोगों का कहना था कि बीरेंद्र दोगले नेता हैं। सत्ता की लालच में भाजपा से जुड़े हैं और किसानों को बेवकूफ समझ रहे हैं। किसानों ने बीरेंद्र सिंह को सत्ता का लालची कहा।
किसानो ने कहा कि बीरेंद्र किसानों के समर्थन में हैं तो उनके सांसद पुत्र को किसानों के साथ होना चाहिए। इस मौके पर बीरेंद्र के समर्थक मौके की नजाकत देख भाग गए। उनके कुछ कार्यकर्ता अपनी बाइक सड़क पर ही छोड़ भाग गए। किसानों ने कहा कि बीरेंद्र का दोहरा चरित्र अब बर्दास्त नहीं किया जायेगा।
Post A Comment:
0 comments: