नई दिल्ली - हरियाणा में फिलहाल पंचायत चुनाव टल गए हैं और माना जा रहा है कि ये चुनाव जून में हो सकते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि किसान आंदोलन के कारण जानबूझकर चुनाव टाले गए हैं क्यू कि पंजाब में हाल में भाजपा का बुरा हाल हो चुका है। उत्तर प्रदेश में भी जल्द पंचायत चुनाव हैं लेकिन यहाँ दिल्ली से सटे यूपी के कई जिलों से अजीब ख़बरें आ रहीं हैं। पंचायत का चुनाव लड़ने वाले संभावित उम्मीदवार भाजपा से दूरी बनाने लगे हैं।
पहले जो भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे अब वो आजाद मैदान में उतरना चाहते हैं। यही नहीं अपने मंच पर वो किसी भाजपा के बड़े नेता को बुलाने से परहेज कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि कहीं उन्हें किसानों के गुस्से का शिकार न होना पड़ जाए। जो संभावित उम्मीदवार हर त्यौहार पर अपने पोस्टर में बड़े भाजपा नेताओं की तस्वीरें लगवाते थे वो अब अपने होर्डिंग्स में भाजपा नेताओं की एक भी तस्वीर नहीं लगवा रहे हैं। यहाँ तक कि जो अपनी गाड़ियों पर हमेशा भाजपा का झंडा लगाकर चलते थे अब वो गांवों में जाते हैं तो झंडा उतारकर जाते हैं। हाल में केंद्रीय राज्य मंत्री का विरोध के बाद संभावित पंचायत प्रत्यासी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं।
हरियाणा की बात करें तो भाजपा अध्यक्ष ओपी धनकड़ और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने समय पर चुनाव करवाने की बात की थी। 24 फरवरी से ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो चुका है और रिकॉर्ड ग्राम सचिवों समेत प्रशासकों के हवाले किया जा रहा है। प्रदेशभर के पदाधिकारी इसका विरोध कर रहे हैं और जल्दी चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं। माना जा रहा है कि दो महीने के अंदर चुनाव करवाए जा सकते हैं। अगर किसान आंदोलन जारी रहा तब हरियाणा में वही देखा जा सकेगा जो उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में दिख रहा है क्यू कि किसान आंदोलन का असर हरियाणा के तमाम जिलों में दिख रहा है। सूत्रों की मानें तो पंचायत चुनावों के पहले हरियाणा में तमाम संभावित पंचायत उम्मीदवार भाजपा छोड़ देंगे जो फिलहाल भाजपा के कार्यकर्ता हैं। बात करें पंजाब की तो हाल में हुए चुनावों में पंजाब के कई गावों में भाजपा को प्रत्यासी तक नहीं मिल रहे थे।
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