नई दिल्ली- कृषि अध्यादेशों के खिलाफ दिल्ली की कई सीमाओं पर डेरा जमाये लाखों किसान अभी कुछ दिन और सड़क पर ही रह सकते हैं। आज की बातचीत बेनतीजा नहीं रही है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि हम किसान भाइयों से आग्रह करते हैं कि आंदोलन स्थगित करें और वार्ता के लिए आएं परन्तु ये फैसला करना किसान यूनियन और किसानों पर निर्भर है।
ऑल इंडिया किसान फेडरेशन के अध्यक्ष प्रेम सिंह ने बताया कि आज की बैठक अच्छी रही। सरकार अपने स्टैंड से थोड़ा पीछे हटी है। 3 दिसंबर को अगली बैठक है, उसमें हम सरकार को यकीन दिला देंगे कि इन क़ानूनों में कुछ भी किसानों के पक्ष में नहीं है। हम इन क़ानूनों को रद्द करा के जाएंगे।
किसान आंदोलन की बात करें तो ये आंदोलन फेल भी हो सकता है क्यू कि आंदोलन में शाहीन बाग़ के सांप घुस चुके हैं और ये सांप किसी और को नहीं किसानों को ही काटेंगे। इनके काटे का कोई इलाज नहीं है। ये इसी साल फरवरी में दिल्ली में 53 लोगों की जान ले चुके हैं। अगर शाहीन बाग़ की सड़क जाम न होती तो दिल्ली में दंगा न होता और कल से शाहीन बाग़ की एक समर्थक के पिता का वीडियो वायरल हो रहा है जो जेएनयू की छात्र नेता रह चुकी है। उसके पिता की माने तो वो देशविरोधी गतिविधियों में शामिल है और उसे विदेश से करोड़ों का फंड मिलता है।
बिहार विधानसभा चुनावों में पप्पू यादव की खटिया खड़ी करने वाली पार्टी भी आज उत्तर प्रदेश के बार्डर पर पहुँच गई और शाहीन बाग़ के समर्थक चंद्रशेखर उर्फ़ रावण ने बार्डर पहुँच किसानों का साथ देने का एलान किया। रावण की छबि फ़िलहाल अच्छी नहीं है।
एक और नेता योगेंद्र यादव भी शाहीन बाग़ समर्थक हैं जो किसानों के साथ कई दिनों से दिख रहे हैं। योगेंद्र यादव कई वर्षों से राजनीति चमकाने का कर रहे हैं लेकिन अब तक उनकी राजनीति नहीं चमक सकी। हर जगह बिन बुलाये मेहमान की तरह पहुँच जाते हैं।
शाहीन बाग़ के कुछ अन्य समर्थक आज दिल्ली की कई सीमाओं पर पहुंचे और सोशल मीडिया पर इन्हे देखा जा सकता है। दिल्ली दंगे के बाद कई शाहीन बाग के सांप जेल में हैं वरना ये भी वहाँ पहुँचते। कुछ की जमानत हो चुकी है और वो किसानो के बीच पहुँचने लगे हैं। इनकी संख्या इस आंदोलन में ऐसी ही बढ़ती रहेगी तो ये किसानों की मेहनत पर पानी फेर सकते हैं। अभी तक किसान शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन शाहीन बाग़ के समर्थक कुछ और भी करवा किसानो को बदनाम करवा सकते हैं।
इनके मंसूबे कुछ और होते हैं। इनके संपर्क सिमी और पीएफआई जैसे कट्टर संगठनों से होते हैं। अगर किसान नेताओं ने इन्हे भाव दिया और इन्हे अपना मंच दिया तो लाखों किसानों की भैंस पानी में जा सकती है। इन्हे भाव देने का मतलब किसान आंदोलन के पैर पर कुल्हाड़ी मारना। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि अब शाहीन बाग़ की मछलियां किसान आंदोलन के विशाल तालाब को गन्दा कर सकती हैं।
बस इन्ही की कमी थी... एक मछली पूरे तालाब को ख़राब करती है। यह भी करेगी। #FarmersProstest अब बनेगी जात पात प्रोटेस्ट। https://t.co/SRalsIvl8x
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) December 1, 2020
हमारे देश में रावण उसे कहा जाता है जिसमें नैतिकता नहीं होती जो अनैतिक काम करता है क्या ऐसे लोगों का साथ किसानों ने लेना चाहिए।
— Bahujan Swabhiman (@BahujanSwabhim1) December 1, 2020
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