नई दिल्ली: किसान आंदोलन को तीन हफ्ते हो गए और इस आंदोलन का हरियाणा पर काफी प्रभाव पड़ रहा है। प्रदेश के तीन-चार जिलों को छोड़ दें तो अधिकतर जिलों में कामकाज ठप्प पड़ा है। दिन भर बड़े अधिकारी और नेता आंदोलन की ही चर्चा करते रहते हैं। तमाम मंत्री अपने घर तक ही सीमित हैं। कई मंत्रियों का घेराव हो चुका है इसलिए मंत्री अपनी कोठियों में ही रह रहे हैं। मंत्रियो को आशंका है कि बाहर निकले और किसी कार्यक्रम में गए तो किसान उनका घेराव कर सकते हैं। काले झंडे दिखा सकते हैं इसलिए वो चंडीगढ़ भी नहीं जा रहे हैं। सचिवालय में भी कामकाज ठप्प पड़ा है। अब 23 तारीख को मंत्रिमंडल की बैठक होनी है। मंत्री और बड़े पुलिस अधिकारी चाहते हैं कि जल्द ये आंदोलन ख़त्म हो।
किसान आंदोलन की वजह से सरकार की कई प्रस्तावित योजनाएं भी ठंडे बस्ते में है। स्थिति यह है कि पंचकूला, अम्बाला सिटी व सोनीपत नगर निगम, रेवाड़ी नगर परिषद तथा सांपला, धारूहेड़ा व उकलाना नगर पालिका के चुनाव भी आंदोलन के चलते गर्मी नहीं पकड़ पा रहे हैं। इन चुनावों के आज नामांकन-पत्र जमा करवाने की आखिरी तारीख है, लेकिन बहुत कम ही मंत्री-विधायक व नेता निकाय चुनाव में सरगर्म दिख रहे हैं। हाल में हैदराबाद में निगम चुनाव में गृह मंत्री और यूपी के सीएम ने प्रचार किया था लेकिन हरियाणा में मंत्री चाहते हुए भी प्रचार करने नहीं जा पा रहे हैं डर है कि कहीं किसान काले झंडे न दिखा दें। आर्थिक नुक्सान को लेकर कई बड़े अधिकारी चिंतित हैं। दिल्ली बार्डर के आस पास हजारों उद्योगों को कई हजार करोड़ का चूना इन 21 दिनों में लग चुका है।
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