29 दिसंबर, भिवानीः अन्नदाता के इस आंदोलन में अब तक 40 से ज्यादा किसानों की जान जा चुकी है, लेकिन सरकार को कोई असर नहीं पड़ रहा है। आख़िर सरकार किसानों की और कितनी क़ुर्बानियां लेना चाहती है? ये सवाल उठाया है राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने। सांसद दीपेंद्र आज कितलाना टोल प्लाजा पर अनिश्चितकालीन धरना दे रहे किसानों के बीच पहुंचे थे। इस मौक़े पर उन्होंने कहा कि कड़कड़ाती ठंड में 34 दिन से देश का अन्नदाता सड़कों पर है। लेकिन बड़े शर्म की बात है कि हुक्मरान कोठियों में हीटर लगा कर आराम फरमा रहे हैं। वो भूल गए हैं कि देश के किसान और मजदूरों की वजह से ही वो सत्ता की दहलीज तक पहुंचे हैं।
दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार को नसीहत दी कि उसके पास संभलने के लिए अभी भी वक्त है। उसे किसान संगठनों के साथ बुधवार को होने वाली बातचीत में राजहठ छोड़कर सकारात्मक सोच अपनानी चाहिए और समाधान की तरफ बढ़ना चाहिए। अगर सरकार ने अब भी अन्नदाता की पीड़ा नहीं समझी तो आने वाले समय में ये उसपर भारी पड़ेगा। कल होने वाली बातचीत में सरकार को लचीला रुख़ अपनाते हुए किसानों की मांगों को पूरा करना चाहिए, जिससे ये आंदोलन समाप्त हो सके और किसान अपने घरों को लौट सकें।
सांसद दीपेंद्र ने कहा कि वो यहां सांसद के नाते नहीं बल्कि किसान परिवार से संबंध रखने वाले इंसान के तौर पर आए हैं। देश के किसान और जवान के साथ खड़ा होना हमारा फर्ज़ है। इस देश में किसान और जवान को सबसे ऊंचा दर्जा हासिल है। लेकिन मौजूदा सरकार ने 'जय जवान, जय किसान' के नारे को निरर्थक बना दिया है। ये सरकार मानो 'मरो जवान, मरो किसान' की नीति पर चल रही है। क्योंकि आज जवान भारत माता की रक्षा के लिए देश की सीमा पर क़ुर्बानी दे रहा है और उसी जवान का पिता अपने खेत की रक्षा के लिए राजधानी की सीमा पर क़ुर्बानी दे रहा है। रोज़ किसी ना किसी आंदोलनरत किसान की जान जा रही है। लेकिन संवेदनहीनता की सारी हदें पार करते हुए सरकार उनकी कुर्बानी को नज़रअंदाज़ कर रही है। लेकिन सरकार को याद रखना चाहिए कि जब तक देश में जवान और किसान को सम्मान नहीं मिलेगा, देश आगे नहीं बढ़ेगा।
Post A Comment:
0 comments: