फरीदाबाद- नाम अनुज था लेकिन अब गब्बर कहलाना पसंद करते हैं। शिक्षा की बात करें तो ज्यादा नहीं पढ़ सके लेकिन MSc कमेस्ट्री/ Bed, 15 साल से टूशन पढ़ा रहे हैं और पहली कक्षा से लेकर 12 तक के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हैं साथ में IIT/ PMT- NDA, CBSE/HBSE की ट्रेनिक भी कराते हैं। पारिवारिक पृष्टि भूमि की बात करें तो तीन भाई हैं। एक भाई सरकारी नौकरी करता है। दूसरा सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। तीसरे खुद स्वयं हैं। गब्बर की उपलब्धि की बात करें तो इनके पढ़ाये एक दर्जन से ज्यादा छात्र IIT/PMT और NDA में सेलेक्ट हो चुके हैं। आप सोंच रहे होंगे कि गब्बर इस समय बहुत कमा रहे होंगे क्यू कि इस समय भी वो फरीदाबाद में 200 से ज्यादा बच्चों को पढ़ा रहे हैं और जहाँ तक हमें जानकारी है। मैथ या विज्ञान के दसवीं कक्षा के बच्चो को भी ट्यूशन पढ़ाएं तो एक बच्चे का कम से कम एक हजार लिया जाता है। गब्बर तो 200 बच्चों को पढ़ा रहे हैं और लाखों कमाते होंगे। आलीशान घर में रहते होंगे। इस बारे में नीचे पूरी जानकारी देंगे कि गब्बर कितने कमा रहे हैं। खबर पूरी पढ़ें। 2020 की ये सबसे खास खबर है।
फरीदाबाद का न्यूनतम तापमान इस समय लगभग 6-7 डिग्री रहता है जबकि अधिकतर तापमान भी 15-16 डिग्री के आस-पास रहता है और इतने तामपान में दिल्ली-एनसीआर का कोई भी व्यक्ति दिन या रात्रि में बिना स्वेटर के नहीं दिखता। अगर आप किसी को बिना स्वेटर का बिना अन्य गर्म कपडे के देखेंगे तो मन में सवाल उठेगा कि क्या इस व्यक्ति को सर्दी नहीं लगती? और अगर आप किसी को ऐसी कड़कड़ाती सर्दी में हाफ टी-शर्ट में देखेंगे तो बहुत कुछ सोंचने पर मजबूर हो जायेंगे। ऐसे ही एक व्यक्ति से कल हमारी मुलाक़ात हुई जो कई दिनों से हमसे मिलना चाह रहे थे। उन्हें हमने एनआईटी में बुलाया। उन्हें हाफ टी-शर्ट और लोअर में देख कुछ सोंचने पर मजबूर हुआ। अचानक उनसे पूंछ बैठा कि आप यहाँ किस साधन से आये हैं तो उन्होंने कहा कुछ दूर ऑटो से और कुछ दूर पैदल चलकर आया हूँ। मैंने उनसे ज्यादा सवाल नहीं किया क्यू कि पहली बार मिले थे। कल समय कम होने के कारण मैंने उन्हें आज का समय दिया और वो लगभग 15 किलोमीटर दूर से आये थे इसलिए मैंने आज उन्हें परेशान करना उचित नहीं समझा और उनसे कल ही कह दिया था कि कल दोपहर मैं वहां आऊंगा जहां वो रहते हैं। आज दोपहर मैं फरीदाबाद के इस्माइलपुर पहुंचा। तिगांव विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत इस्माइलपुर दिल्ली बार्डर के करीब है और जब मैं वहां पहुंचा तो ये देख हैरान रह गया कि कल वो जिन कपड़ों में मुझसे मिलने आये थे आज भी वही कपडे पहन रखे हैं। हाफ टी-शर्ट और लोअर, मैंने उनके कमरे में गया तो देखा एक तख्ता और जमीन पर दरी नुमा कोई चीज बिछी थी। एक प्लास्टिक की टेबल और एक प्लास्टिक की कुर्सी थी। सामने दो प्लास्टिक के स्टूल थे। जाते ही उन्होंने चाय बनवा और चाय पीने के समय आज मैंने उनसे पूंछ लिया कि क्या आपको सर्दी नहीं लगती। मायने उनके कमरे में अन्य कोई कपडे नहीं देखे इसलिए ये पूंछने पर मजबूर था। मेरे सवाल का जबाब देते हुए उन्होंने कहा कि मजबूर हूँ। तीन महीने पहले किसी ने ये लोअर गिफ्ट किया था जिससे काम चला रहा हूँ और टी-शर्ट अभी एक ही है। जबसे सर्दी बढ़ी है तबसे सोंच रहा हूँ कि एक जैकेट खरीद लूँ लेकिन पैसों का कोई जुआड़ नहीं बन रहा है। उन्होंने बताया कि सर्दी लगती है लेकिन मजबूर हूँ। ये वही गब्बर हैं जिनके बारे में मैंने ऊपर लिखा है कि ट्यूशन पढ़ाकर कई बच्चों को IIT/PMT और NDA में सेलेक्ट करवा चुके हैं और अब भी 200 बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रहे हैं। आप सोंचेंगे कि जब इतने शिक्षित हैं और इतने बच्चों को पढ़ाते हैं तो क्या इतना भी नहीं कमा रहे हैं जो एक गर्म जैकेट न खरीद सकें।
दोस्तों आपके सवाल का जबाब ये है कि गब्बर शुरू से लेकर अब तक सभी बच्चों को निःशुल्क पढ़ाते हैं। किसी छात्र से कोई पैसा नहीं लेते हैं। मन में देश सेवा का भाव है और देश की सेवा के लिए उन्होंने अपना सब कुछ देश पर न्योछावर कर दिया। घर छोड़ दिया, शादी अब तक नहीं की। 32 वर्ष की आयु है। देश सेवा का जज्बा उनमे कूट-कूट कर भरा है। उनका कहना है कि बचपन में मेरे पिता का असमय निधन हो गया था। उसके बाद हम स्कूल फटे कपड़ों में जाते थे ,जहाँ कपडे फटे होते थे वहाँ हाँथ लगा लेते थे ताकि कोई साथी छात्र फटे कपड़ों को देख हंसी न उड़ाए ,हमने बहुत मेहनत की और MSc कमेस्ट्री/ Bed,किया। भाइयों की नौकरी लग गई लेकिन मैंने देश सेवा का लक्ष्य चुना और मेरा लक्ष्य था कि देश का कोई भी बच्चा अशिक्षित न रहे। मैंने देखा कि गरीबों के बच्चे चाहते हुए भी मंहगाई के इस युग में शिक्षा नहीं ग्रहण कर पा रहे हैं इसलिए मैंने गरीबों के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देना शुरू किया और अब तक ये सिलसिला जारी है और ताउम्र जारी रहेगा। गब्बर ने कहा कि मैंने खुद को देश के लिए समर्पित कर दिया है और मरने के बाद अपने शरीर के खास अंग भी डोनेट कर जाऊंगा।
गब्बर ने बताया कि मैंने फेसबुक पर एक पेज बना रखा है। बच्चों को पढाता हूँ तो तस्वीरें वीडियो पोस्ट कर देता हूँ, पेज को देख कुछ अच्छे लोग कभी कुछ मदद कर देते हैं जिससे मेरे कमरे का किराया निकल आता है जहाँ मैं रहता हूँ और कुछ बच्चों को वहाँ पढ़ाता हूँ जबकि कुछ बच्चों को पास में एक जगह पर। उन्होंने बताया कि मेरे फेसबुक पेज The gabbar classes पर 50 हजार से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं उनमे से एक दो कभी-कभी मेरी मदद कर देते हैं। गब्बर ने बताया कि मैं अधिकतर गरीबों के बच्चों को पढ़ाता हूँ जिनके पास खुद दो वक्त के भोजन के लिए पैसे नहीं होते लेकिन इन्ही बच्चों में एक दो बच्चों का परिवार ऐसा भी है जो मुझे सुबह -शाम का भोजन भेज देता है। उसी भोजन से पेटपूजा हो जाती है।
गब्बर ने बताया कि सोशल मीडिया पर कई ऐसे लोगों ने मुझसे संपर्क कर मदद करने को कहा लेकिन किसी ने नहीं की। उन्होंने कहा कि फरीदाबाद के किसी नेता और अधिकारी से मेरा संपर्क नहीं है क्यू कि बच्चों को पढ़ाने में पूरा दिन निकल जाता है। समय नहीं होता कि किसी से मदद मांगने जाऊं। उन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य है कि कम से कम पूरे फरीदाबाद के बच्चों को शिक्षित कर दूँ लेकिन मेरे पास साईकिल तक नहीं है। न ही ऐसी जगह है जहाँ मैं ज्यादा से ज्यादा बच्चों को पढ़ा सकूं। गब्बर ने बताया कि मेरा ख्वाब है कि देश में फरीदाबाद के हजारों बच्चे प्रतिवर्ष IIT/PMT और NDA में सेलेक्ट हों और एक इतिहास बने कि फरीदाबाद के इतने छात्र IIT/PMT और NDA में सेलेक्ट हुए। उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ पढ़ाना जानता हूँ और दावा करता हूँ कि जिन बच्चों को पढ़ाऊंगा वो इतिहास रचेंगे लेकिन मजबूरी है, किराए के छोटे से कमरे में पूरे फरीदाबाद के बच्चों को पढ़ा नहीं सकता। मेरा सपना है कि शहर के तमाम क्षेत्रों में जा-जा कर बच्चों को निःशुल्क पढ़ाऊँ लेकिन पैदल पूरे फरीदाबाद में एक दिन में घूम नहीं सकता। उन्होंने बताया कि मेरे पास स्मार्ट फोन भी नहीं था। किसी ने गिफ्ट किया जिसके बाद मैंने फेसबुक पर पेज बनाया और वहां सभी तरह की जानकारिया पोस्ट करने लगा। उन्होंने बताया कि पूरे महीने में उस पेज के माध्यम से 1000 से 1500 रूपये का डोनेशन मिलने लगा है जिससे कमरे का किराया निकल जा रहा है। गब्बर की कहानी अभी अधूरी है। आगे फिर आपको जानकारी देंगे।
आपको बता दें कि फरीदाबाद में मैंने देखा है कि एक दर्जन केला गरीबों में बाँटने वाले या किसी खास मौके पर आधा किलो लड्डू बाँटने वाले नेता मीडिया की फ़ौज बुला लेते है तब आधा किलो लड्डू या एक दर्जन केला बांटते हैं। आज मैंने देखा कि इतना बड़ा काम करने वाले गब्बर ने कहा कि भाईसाहब आप हमारी फोटो न खींचें। खबर बनायें तो छात्रों की फोटो डाल दें ,मुझे देश सेवा करनी है। फोटो खिंचवा खुद को मशहूर नहीं करना। जल्द गब्बर की अधूरी कहानी को पूरी करने का प्रयास करूंगा। वो समाजसेवा के क्षेत्र में अन्य काम भी कर रहे हैं। स्थानीय बच्चों को योग भी सिखा रहे हैं। गब्बर ने ये भी बताया कि भाई साहब एक दो बार कहीं से तीन हजार डोनेशन आ गया था तो मैंने उस पैसे से अपने छात्रों को बैग बाँट दिया था क्यू कि छात्र गरीब घर होते हैं। हाथ में कॉपी लेकर आते थे।
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