23 दिसम्बर 2020- पूर्व प्रधानमंत्री व किसान नेता चौ० चरणसिंह की 119वीं जयंती पर स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने अपने कार्यालय में पुष्पाजंली अर्पित करके अपनी भावभीनी श्रद्घांजली दी। इस अवसर पर प्रदीप कुमार, अमन कुमार, कपिल यादव, अजय कुमार व कुमारी वर्षा ने भी चौ० चरण सिंह को अपने श्रद्घासुमन अर्पित किए। इस अवसर पर विद्रोही ने कहा कि गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी चौ० चरण सिंह जीवनभर किसान, गांव व पिछड़े तबके के उत्थान के लिए काम करते रहे। जिस प्रतिबद्घता से चौ० चरण सिंह ने कांग्रेस में रहकर उत्तरप्रदेश सरकार में मंत्री रहते हुए और बाद में कांग्रेस छोडऩे के बाद उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री, देश के प्रधानमंत्री व लोकदल नेता के रूप में किसान व गांव हित में अभूतपूर्व योगदान दिया, वह अपने आप में एक मिसाल है। उत्तरप्रदेश में देश में सबसे पहले भूमि सुधारों को कांग्रेस सरकार में मंत्री रहते चौ० चरण सिंह ने लागू करके भूमिहीनों को किसान बनाने व समाज के शोषित व वंचित लोगों को सिर उठाकर जीने का मार्ग दिखाया। विद्रोही ने कहा कि चौ० चरण सिंह ने उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, उड़ीसा, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में गांव की पृष्ठïभूमि रखने वाले किसान परिवारों के पिछड़े, दलित व अल्पसंख्यक वर्ग के कार्यकर्ताओं को नेता बनाने का काम किया। चौ० चरण सिंह ने देश में कृषि व गांव के विकास के लिए पूरे देश में जनजागृति की, वहीं उन्होंने किसानों व गांवों के लोगों को इसके लिए संगठित भी किया। गांधीवादी विचारधारा में प्रबल आस्था रखने वाले चौ० चरणसिंह देश में कृषि व ग्राम आधारित अर्थव्यस्था के प्रबल पक्षधर थे।
विद्रोही ने कहा कि आज देश में पिछड़े तबके के लोगों को मण्डल कमीशन के आधार पर सरकारी नौकरियों में जो आरक्षण मिला है, उस मण्डल कमीशन का गठन भी चौ० चरण सिंह ने ही देश के गृहमंत्री रहते हुए 1978 में किया था। 1980 में मण्डल कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद उसे लागू करवाने के लिए पिछड़े तबके के लोगों ने सबसे पहले उन्ही के नेतृत्व में आंदोलन प्रारंभ किया था। चौ० चरण सिंह के छेड़े गए आंदोलन व उनके नेतृत्व में पिछड़े वर्ग में पैदा की गई जागरूकता का ही परिणाम था कि जनता दल की सरकार ने आखिरकार 1990 में 7 अगस्त को देश में पिछड़े वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय किया जो बाद में उच्चतम न्यायालय की 9 सदस्यीय संविधान पीठ के आदेश से 1993 में पूरे देश में लागू हुआ। विद्रोही ने कहा कि गांधी जी के प्रतिबद्घ अनुयायी गांधीवादी चौ० चरण सिंह आजादी के बाद के देश के सबसे बड़े किसान नेता थे। किसान व ग्रामीण लोग उनके द्वारा किसानों व गांवों के हित में किये सघंर्ष व योगदान को कभी नही भूला सकते। गांधीवादी चौ० चरणसिंह व गांधीवाद पर आधारित उनकी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की विचारधारा सदैव ही किसानों व गांवों के हित में लडऩे वालों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहेगी।
विद्रोही ने किसानों से आग्रह किया कि वे किसान मसीहा चौ0 चरणसिंह की जयंती पर संकल्प ले कि जब तक किसान विरोधी मोदी-भाजपा सरकार को सत्ता से नही उखाड़ फेंकेंगे, तब वे चैन की सांस नही लेंगे और तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ तब तक लडते रहेंगे, जब तक सरकार उन्हे वापिस नही लेती है।
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