11 नवम्बर 2020- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने बिहार विधानसभा चुनाव व मध्यप्रदेेश, गुजरात उपचुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन पर निराशा प्रकट करते हुए कांग्रेस नेतृत्व से आग्रह किया कि वे इन चुनावों पर गहन आत्मविश्लेषण करके संगठन व अपनी कार्यशैली में गुणात्मक परिवर्तन करे। विद्रोही ने कहा कि चुनावी हार के बाद आत्ममंथन करके करेक्टिव मेजर लेने की बजाय पंचों की बात सिर माथे पर पतनाला वही पड़ेगा, वाली सोच कांग्रेस के लिए घातक है। बिहार विधानसभा चुनाव में विपरित परिस्थितियों के बाद भी भाजपा-जेडीयू एनडीए गठबंधन की जीत चौकाने वाली है। इस जीत में सत्ता, धन के दुरूपयोग व चुनाव आयोग की भूमिका का कितना सहयोग है, यह तो व्यापक विश्लेषण के बाद ही पता चलेगा। पर प्रथम दृष्टया में यही लगता है कि राजद-कांग्रेस-वामपंथी महागठबंधन के सामने भोजन से भरी थाली अचानक येनकेन प्रकारेण छीन ली गई। सत्ता दुरूपयोग व चुनाव आयोग की भूमिका पर हम जो चाहे सवाल उठाये, पर क्या इस हार में कांग्रेस का लचर प्रदर्शन की भी भूमिका नही रही है, इस पर व्यापक मंथन की जरूरत है।
विद्रोही ने कहा कि एक गांधीवादी व लोकतंत्र में प्रबल आस्था रखने वाले आम नागरिक के नाते मुझे सबसे ज्यादा निराशा मध्यप्रदेश व गुजरात में उपचुनावों में मतदाताओं के जनादेश से हुई है। मध्यप्रदेश व गुजरात के मतदाताओं ने करोड़ों रूपये में बिके कांग्रेसे विधायकों को भाजपा की टिकट पर जीताकर एक तरह से राजनीति में खरीद-फरोख्त, दल-बदल, अवसरवाद व धन-बल, सत्तालोलूप से जनादेश के चीरहरण की संघी राजनीति पर मोहर लगाकर राजनीति को भ्रष्टाचारी, व्यापार व निजी स्वार्थ पूर्ति का साधन बनाने पर मोहर लगा दी। ऐसा करके मध्यप्रदेश व गुजरात के मतदाताओं ने एक संदेश दिया है कि हमारे चुने हुए विधायक, सांसद जनसेवा करने की बजाय अवसरवाद, दलबदल, बिककर चाहे कितना भ्रष्टाचार करे, सता बल पर लूट करे, उन्हे कोई एतराज नही। विद्रोही ने कहा कि मध्यप्रदेश व गुजरात उपचुनावों के परिणाम राजनीति से नैतिकता, शुचिता, ईमानदारी व जनादेश को बेमानी बना दिया जो लोकतंत्र व आमजनों के लिए आने वाले दिनों में बहुत घातक होगा।
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