फरीदाबाद,25 नवंबर। केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों एवं कर्मचारी संघों के आह्वान पर केन्द्र एवं राज्य सरकार की कर्मचारी, मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ 26 नवंबर को कर्मचारी व मजदूर हड़ताल पर रहेंगे। इस हड़ताल के चलते नगर निगम, बिजली, हुड्डा,जन स्वास्थ्य, स्वास्थ्य, सिंचाई, पीडब्ल्यूडी बीएंडआर,वन, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, पशुपालन, रोड़वेज, टूरिज्म, विकास एवं पंचायत,आईटीआई आदि अनेक विभागों में काम काज प्रभावित रहेगा। इसके अलावा बैंक, बीमा,डाक तार, भूजल बोर्ड, आयकर, प्रतिरक्षा, इंडियन आयल आदि में कार्यरत कर्मचारी और प्राईवेट कारखानों में काम करने वाले मजदूर भी बड़ी संख्या में हड़ताल पर रहेंगे। सीटू से जुड़ी आंगनबाड़ी, आशा व मिड डे मील वर्करों ने भी हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है। हड़ताली कर्मचारी सुबह हड़ताल करके अपने अपने कार्यालयों पर केन्द्र एवं राज्य सरकार की कर्मचारी एवं मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। इन प्रदर्शनों के बाद सभी विभागों के कर्मचारी नगर निगम मुख्यालय बीके चौक पर एकत्रित होंगे। वहां कर्मचारियों की आम सभा आयोजित की जाएगी। सभा के बाद बाजार में जूलूस निकाल कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री, जिला प्रधान अशोक कुमार, सचिव बलबीर सिंह बालगुहेर, कोषाध्यक्ष युद्धवीर सिंह खत्री व प्रेस प्रवक्ता राजबेल देसवाल ने बताया कि हड़ताल की सभी तैयारियों पूरी कर ली गई है। उन्होंने बताया कि एसकेएस के नीतिगत निर्णय के अनुसार आवश्यक सेवाओं को किसी भी सूरत में बाधित नही किया जाएगा। जनता को कोई परेशानी न हो इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि आवश्यक सेवाओं में तैनात कर्मचारी हड़ताल में शामिल होकर भी आवश्यकता पड़ने पर काम भी करेंगे।
हड़ताल की मांग निम्न हैं :-
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि राष्ट्रव्यापी हड़ताल की प्रमुख मांगों में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं विभागों के निजीकरण पर रोक लगाने, ठेका प्रथा समाप्त कर ठेका कर्मचारियों को सीधे विभागों के पे रोल पर लेने, सेवा सुरक्षा एवं समान काम समान वेतन देने, रेगुलराइजेशन की नीति बनाने,पुरानी पेंशन बहाल करने, डीए व एलटीसी पर लगाई रोक को हटाने, जबरन तरीके से पारित किए श्रम कानूनों व कृषि बिलों को रद्द करने, बिजली संशोधन बिल 2020 के ड्राफ्ट को वापस लेने, रोड़वेज सहित अन्य विभागों में तेजी से लागू की जा रही निजीकरण की नीतियों पर रोक लगाने, खाली पड़े लाखों पदों को स्थाई भर्ती से भरते हुए बेरोजगारों को रोजगार देने, बैकलाग को विशेष अभियान चलाकर भरने, प्रीमेच्योर रिटायरमेंट करने के पत्र को वापस लेने, केन्द्र सरकार राज्यों के बकाया जीएसटी का शेयर को देने, बर्खास्त पीटीआई को बिना किसी देरी के एडजस्ट करने और 816 ड्राईग टीचर और स्पोर्ट्स कोटे में ग्रुप डी में लगे 1518 कर्मचारियों को सेवा सुरक्षा प्रदान करने, नोकरी से निकाले गए सभी ठेका कर्मचारियों को वापस सेवा में लेना, जनतांत्रिक अधिकारों एवं संवैधानिक संस्थाओं पर किए जा रहे हमलों पर रोक लगाने आदि शामिल है।
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