उन्होंने कहा कि अगर गांवों में बार-बार चुनाव हुए तो आर्थिक के साथ-साथ सामाजिक समस्याएं भी खड़ी होगी, जो कि लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। श्री नागर शनिवार को सेक्टर-17 स्थित अपने निवास पर क्षेत्र से आए ग्रामीणों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरपंच गांवों के विकास की एक कड़ी होता है परंतु इस बिल के आने से अब सरपंचों के अधिकार पूरी तरह से छीन जाएंगे और गांवों का विकास भी प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार अनाप-शनाप बिल पास करके प्रदेश में भाईचारे की भावना को बिगाडऩे का काम कर रही है, जिसे किसी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। वहीं पूर्व विधायक ललित नागर ने रोजगार आरक्षण बिल में संशोधन करने की मांग करते हुए कहा कि इस बिल में जिलास्तर के युवाओं की भागेदारी को 10 प्रतिशत रखा गया है, वह पूरी तरह से उनके साथ अन्याय है इसलिए सरकार को इसमें जिलास्तर के युवाओं की भागेदारी को बढ़ाना चाहिए क्योंकि फरीदाबाद में स्थापित बड़ी व छोटी औद्योगिक इकाईयों में अब जिले के युवाओं को तो केवल 10 प्रतिशत रोजगार मिलेगा, जबकि अन्य जिलों के युवाओं को 75 प्रतिशत रोजगार मिलेगा, जो कि पूरी तरह से गलत है क्योंकि इससे जहां जिले में बेरोजगारी बढ़ेगी वहीं होनहार युवाओं के अधिकार भी छीन जाएंगे।
उन्होंने कहा कि फरीदाबाद औद्योगिक नगरी है और इसे औद्योगिक नगरी बनाने में यहां के लोगों ने न केवल अपनी जमीनें दी है बल्कि यहां चल रहे उद्योगों से निकलने वाला दूषित प्रदूषण, दूषित पानी व तमाम तरह की बीमारियां सहन कर रहे है, इसके बावजूद अगर यहां के युवाओं को रोजगार देने के बजाए दूसरे जिलों के युवाओं को रोजगार दिया जाएगा तो यह सीधे तौर पर यहां के लोगों के साथ अन्याय होगा। उन्होंने कहा कि बैसाखियों पर चल रही मनोहर सरकार जननायक जनता पार्टी के दबाव में आकर इस प्रकार के जनविरोधी बिल पास कर रही है, जिसका कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से विरोध करती है। उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मांग करते हुए कहा कि वह इन दोनों बिलों में संशोधन करें, अगर ऐसा नहीं किया गया तो कांग्रेस पार्टी प्रदेश के लोगों के हकों के लिए सडक़ से लेकर विधानसभा तक संघर्ष करने से गुरेज नहीं करेगी।
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