नई दिल्ली- बिहार में फिर नीतीश सरकार बन गई और भाजपा इसे बड़ी सफलता मानकर चल रही है और अब बारी पश्छिम बंगाल की है जहां के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू हो गई है। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को बिहार में जमकर भुनाया गया और फायदा भी मिला और अब बंगाल की बारी है। वर्तमान समय में केंद्र सरकार का भी पूरा ध्यान चुनाव जीतने में है देश की जनता मंहगाई से जूझ रही है किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। विपक्ष का कमजोर होने का पूरा फायदा उठाया जा रहा है। कांग्रेस अब भी नहीं संभल रही है जबकि कई महीने से बड़े-बड़े कांग्रेस के नेता अपनी ही पार्टी पर सवाल उठा रहे हैं।
कई महीनों से देश के आम लोगो के किचन से आलू प्याज गायब है। बिचौलिए करोड़पति, अरबपति बन गए। न जाने कब तक ये खेल चलता रहेगा। ऐसा नहीं है कि मंहगाई पहली बार बढ़ी है। पिछले साल भी प्याज के दाम आसमान छूने लगे थे लेकिन तब केंद्रीय खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने तुरंत ऐक्शन लिया था। पिछले महीने 8 अक्टूबर को उनका निधन हो गया और उनके निधन के बाद ये मंत्रालय पियूष गोयल के पास है कोई ऐक्शन नहीं लिया जा रहा है। बिचौलिए जमकर मनमानी कर रहे हैं।
आपको बता दें किसानो को अब भी उनकी सब्जियों को बहुत ज्यादा दाम नहीं मिल रहा है। एक बड़ा खेल देश में जारी है। लॉकडाउन के दौरान मार्च में किसानों से 10 रूपये किलो खरीदा गया आलू वर्तमान में 50 रूपये किलो बिक रहा है और यही नहीं जिन किसानो ने अपने आलू लगभग 7 महीने पहले 10 रूपये में बेंचा था वो किसान भी वर्तमान में 50 रूपये किलो खरीदकर खा रहे हैं और इस समय कई राज्यों में आलू की बुआई का सीजन होता है। किसानो को कई गुणा कीमत में खरीदकर आलू बोना पड़ रहा है। पिछले साल अक्टूबर में अधिकतर किसानों ने आलू बो दिया था लेकिन इस बार बीज सस्ते होने का इंतजार कर रहे थे लेकिन नवम्बर तक बीज सस्ते नहीं हुए इसलिए मजबूरन उन्हें मंहगे बीज खरीदकर आलू बोना पड़ा।
कई राज्यों से नए आलू मंडियों में आने लगे हैं और वो भी कम से कम 50 रूपये किलो फुटकर में बिक रहे हैं और आपको बता दें कि आलू की बुआई पुराने आलू से ही होती है। नए आलू सस्ते भी हो जाएँ तो किसान उसे खेत में नहीं बो सकते।
7 महीने पहले 10 रूपये किलो खरीदी गई आलू 50 रूपये किलो बिक रही है। बिचौलियों का धन 7 माह में कम से कम चार बढ़ा है। बिचौलिए अगर छोटे दुकानदारों को 45 रूपये किलो देते होंगे और 5 रूपये किलो किराया भाड़ा या अन्य टैक्स लग जाता होगा तब भी उनका धन 7 माह में चार गुणा बढ़ गया। बैंकों में 10 साल में भी पैसा दोगुना नहीं होता और यहाँ 7 माह में चार गुना हो गया। ये सब सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। किसानों से खेतों में ही उनकी सब्जियां खरीद ली जाती हैं और उसे कोल्ड स्टोरेज में रख जमाखोरी की जाती है और फिर क्या किया जाता है। आप समझ सकते हैं। भाजपा को पूंजीपतियों की सरकार यूं ही नहीं कहा जाता है। कुछ न कुछ तो गड़बड़झाला जरूर है।
अगर किसान चार पैसे कमा रहे होते तो कोई बात नहीं। किसान बहुत मेहनत करते हैं। सर्दी गर्मी नहीं देखते, सपरिवार खेतों में काम करते हैं। मौसम भी कभी कभी उनकी फसलें तवाह कर देता है लेकिन बेचारे किसानों की मेहनत का पैसा कुछ लोग और हद से ज्यादा डकार रहे हैं। जिसे देख लगता है देश में कोई सरकार नहीं है। कुछ राज्यों के किसान हाल में पास हुए कृषि अध्यादेशों का विरोध इसी लिए कर रहे हैं क्यू कि फसलों की एमएसपी की कोई गारंटी नहीं है। विपक्ष इसे बड़ी साजिश बता रहा है जिसका कहना है कि इन बिलों से बड़े लोग और तांडव मचाएंगे। किसानों को कोई फायदा नहीं मिलेगा। फ़िलहाल आलू के आज भी दाम 50 रूपये प्रति किलो हैं। प्याज भी 70 रूपये के आस-पास है। टमाटर 40 रूपये किलो है। ये दाम हरियाणा की सबसे बड़ी सब्जी मंडी डबुआ कालोनी की सब्जी मंडी के हैं।
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