चंडीगढ़, 5 नवम्बर- हरियाणा विधानसभा सत्र में आज कुल तीन विधेयक पारित किये गए, जिनमें हरियाणा राज्य के स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन विधेयक, 2020, पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) हरियाणा संशोधन विधेयक, 2020 और हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन तथा प्रबंधन) प्राधिकरण विधेयक, 2020 शामिल हैं।
हरियाणा राज्य के स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन विधेयक, 2020
हरियाणा राज्य में नियोक्ता द्वारा स्थानीय उम्मीदवारों का 75 प्रतिशत नियोजन तथा उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए उपबन्ध करने हेतु हरियाणा राज्य के स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन विधेयक, 2020 को सर्वसम्मति से पारित किया गया ।
हरियाणा में स्थानीय कम्पनियों में विभिन्न कम्पनियों, सोसायटी, ट्रस्ट, लिमिटेड देयता, भागीदारी फर्म, साझेदारी फर्म आदि के तहत 10 वर्षों की अवधि के लिए निजी रोजगार में आरक्षण प्रदान करने के लिए, हरियाणा सरकार ने एक विधेयक हरियाणा राज्य के स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन विधेयक, 2020, स्थानीय उम्मीदवारों के लिये प्रस्तावित किया।
प्रवासी श्रमिकों की एक बड़ी संख्या विशेषत: कम वेतन पर कार्यरत रोजगारों के लिए प्रतिस्पर्धावश स्थानीय आधारिक संरचना, मूलभूत ढ़ाचें व आवास सम्बन्धी सुविधाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है और मलिन बस्तियों का प्रसार करती है, इससे पर्यावरण और स्वास्थ्य के मुद्दों से सम्बन्धित समस्याओं को बढ़ावा मिलता है जो हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में रहने और आजिविका की गुणवता को प्रभावित करता है तथा शहरीकरण की उच्च गुणवता पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसलिए कम वेतन वाली नौकरियों के लिए स्थानीय उम्मीदवारों को वरीयता देना सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से वांछनीय है और ऐसी कोई भी प्राथमिकता आम जनता के हितों में होगी।
यह विधेयक जनता के हित में बड़े पैमाने पर हरियाणा के सभी निजी नियोक्ताओं को स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करने में सफल सिद्ध होगा। यह विधेयक योग्य या प्रशिक्षित स्थानीय कार्यबल/श्रमिक/कर्मचारियों के माध्यम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निजी नियोक्ताओं को लाभ प्रदान करेगा। स्थानीय स्तर पर उपयुक्त कार्यबल/श्रमिक/कर्मचारियों की उपलब्धता से उद्योग की दक्षता में वृद्धि होगी क्योंकि कार्यबल/श्रमिक/कर्मचारी किसी भी औद्योगिक संगठन/कारखाने के विकास के प्रमुख घटकों में से एक है। यह विधेयक उपरोक्त उद्ïदेश्यों को प्राप्त करने में पूर्ण रूप से सक्षम होगा।
हरियाणा राज्य में स्थित विभिन्न कम्पनियों, सोसायटी, ट्रस्ट, लिमिटेड देयता भागीदारी फर्म, साझेदारी फर्म आदि में स्थानीय उम्मीदवारों को कम से कम 75 प्रतिशत रोजगार प्रदान करना और जहां योग्य या उपयुक्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं है, वहां स्थानीय उम्मीदवारों को प्रशिक्षण/अन्य कौशल प्रदान करके योग्य बनाना इस विधेयक की मुख्य विशेषताएं हैं।
पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) हरियाणा संशोधन विधेयक, 2020
हरियाणा राज्यार्थ ‘पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन)अधिनियम, 1961’ को संशोधित करने के लिए पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) हरियाणा संशोधन विधेयक, 2020 पारित किया गया।
इस विधेयक द्वारा उस क्षेत्र के नाम का लोपन किया गया है जो हरियाणा राज्य का भाग नहीं है और हरियाणा पंचायती राज अधिनियम, 1994 में दी गई सभा क्षेत्र की परिभाषा में शामिल किया गया है क्योंकि पहले से दी गई भाषा लुप्तप्राय: को चुकी है। यह भी आवश्यक समझा गया है कि जुर्माने को प्रभावी निवारक बनाने के लिए जुर्माने को बढ़ाया जाए और इसे शामलात देहभूमि पर नाजायज कब्जे की दशा में जुर्माना राशि को भूमि के मूल्य के साथ जोड़ा जाए। इसके अतिरिक्त, अपवाद खंड की गलत व्याख्या से बचने के लिए 1961 की पंजाब अधिनियम संख्या 18 की धारा 2(छ) की मद को लोपित किया जाना भी आवश्यक है।
हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन तथा प्रबंधन) प्राधिकरण विधेयक, 2020
हरियाणा राज्य के भीतर जल संसाधनों अर्थात भू-जल तथा सतही जल के संरक्षण, प्रबंधन तथा विनियमन के लिए तथा उसके न्यायसम्मत, साम्यापूर्ण तथा सतत उपयोग, प्रबंधन, विनियमन करने के लिए जल उपयोग की दरें नियत करने को सुनिश्चित करने हेतु हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन तथा प्रबंधन) प्राधिकरण की स्थापना करने तथा उससे संबंधित तथा उनसे आनुंषगिक मामलों के लिए हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन तथा प्रबंधन) प्राधिकरण विधेयक, 2020 पारित किया गया।
राज्य में एक प्रभावी कानून की अनुपस्थिति में जल संसाधनों के अनियंत्रित और तेजी से उपयोग ने चिंताजनक स्थिति पर तत्काल ध्यान देने के लिए प्रेरित किया है। कई क्षेत्रों में घटते भूजल स्तर के कारण लोगों का बड़ा तबका स्वच्छ पेयजल की पहुंच से वंचित रह गया है। राज्य में पानी के उपयोग के संरक्षण, नियंत्रण एवं विनियमन के लिए, विशेष रूप से पानी की कमी वाले क्षेत्रों में, एक उचित कानून बनाना आवश्यक है ताकि जल का सतत उपयोग दोनों, मात्रात्मक एवं गुणात्मक रूप में हो सके।
जल आपूर्ति, सिंचाई, नहरें, जल निकासी एवं तटबंध, जल भण्डारण और जल शक्ति राज्य के विषय हैं तथा भारत के संविधान की अनुसूची- VII की सूची- II में प्रविष्टि 17 के रूप में सूचीबद्घ हैं।
भूजल के अधिक दोहन और जलवायु परिर्वतन आदि के कारण घटते जल स्तर और पानी की बढ़ती मांग के कारण भविष्य में स्थिति और अधिक चिंताजनक हो सकती है। औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण के कारण भूजल एवं सतही जल के प्रदूषण ने इस स्थिति को और अधिक बढ़ा दिया है। चंूकि इस बहुमूल्य संसाधन की प्रयोज्य मात्रा को नि:शुल्क माना जा रहा है इसलिए हाल के दशकों में जल के स्तर में भारी गिरावट देखी गई है। आज जल सुरक्षा, उपयुक्त भूजल एवं सतही जल की कमी वर्तमान पीढ़ी के साथ-साथ भावी पीढिय़ों की पीने के लिए सुरक्षित पानी तक पहुंच के लिए एक गंभीर खतरा बनी हुई है। वर्तमान एवं भावी पीढिय़ों के लिए अमूल्य संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन एवं संरक्षण करना राज्य पर निर्भर है। इसलिए राज्य के जल संसाधनों के प्रबंधन एवं विनियमन के लिए एक कानून बनाने की आवश्यकता है ताकि उनके न्यायपूर्ण, न्यायसंगत एवं स्थायी उपयोग, प्रबंधन एवं विनियमन को सुनिश्चित किया जा सके। इसलिए एक प्राधिकरण का गठन किया जाना आवश्यक है। इन्हीं उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए यह विधयेक पारित किया गया है।
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