चंडीगढ़- हरियाणा राज्यार्थ पंजाब भू राजस्व अधिनियम, 1887 को आगे संशोधित करने के लिए पंजाब भू-राजस्व (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया है।राजस्व न्यायालय में लम्बित विभाजन की कार्यवाही के त्वरित निस्तारण के लिए पंजाब भू-राजस्व अधिनियम,1887 में संशोधन किया गया है। यह अनुभव किया गया है कि राजस्व न्यायालयों में लम्बित विभाजन की कार्यवाही में बहुत अधिक समय लगता है क्योंकि इनके निपटान बारे कोई वैधानिक समय सीमा नहीं है। इसके परिणामस्वरूप भू-स्वामियों, विशेष रूप से ग्रामीण जनता को लम्बे समय तक मुकदमेबाजी का सामना करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त, यह एक सामान्य प्रवृति है कि हिस्सेदारी में भूमि खरीद ली जाती है और उसके पश्चात बिक्री पत्र के आधार पर विशिष्ट खसरा नम्बरों में गिरदावरी अपने नाम करवा ली जाती है।
इसके परिणामस्वरूप दीवानी एवं राजस्व न्यायालयों में बहुपक्षीय मुकदमेबाजी होती है। विभाजन में देरी के साथ-साथ मुकदमेबाजी को कम करने के लिए पंजाब भू-राजस्व अधिनियम, 1887 में संशोधन किया जाना आवश्यकता हो गया था। इससे सभी भू स्वामियों, विशेष रूप से किसानों को राहत मिलेगी और मुकदमेबाजी कम होने से कृषि दक्षता को बढ़ावा मिलेगा तथा समयबद्ध विभाजन सुनिश्चित होगा। अत: सार्वजनिक हित एवं उक्त स्थिति के मद्देनजर पंजाब भू-राजस्व अधिनियम, 1887 में धारा 111 व 118 के बाद धारा 111-ए व 118-ए को जोड़ा जाएगा।
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