चंडीगढ़, 17 नवम्बर- हरित क्रांति के बाद केन्द्रीय खाद्यान्न पुल में सर्वाधिक योगदान देने वाला देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य बनने के बाद हरियाणा ने श्वेत क्रांति व नीली क्रांति में अपने इस प्रदर्शन को पुन: दोहराने की पहल की है। इस कड़ी में नई-नई योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं, जिनके फलस्वरूप न केवल प्रदेश में दुग्ध उत्पादन व प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता में निरन्तर बढ़ौतरी हो रही है बल्कि मत्स्य उत्पादन 173316 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जे.पी. दलाल ने कहा कि इन दोनों क्रांतियों को और अधिक सफल बनाने के लिए दुग्ध उत्पादक किसानों व मत्स्य पालकों के लिए सस्ते ऋण उपलब्ध करवाने हेतु किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना लागू की गई है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में लगभग 16 लाख परिवार ऐसे हैं, जिनके पास दुधारु पशु हैं और इनकी टैगिंग की जा रही है। अब तक इस योजना के तहत 2.72 लाख पशुओं का बीमा किया जा चुका है तथा 5000 किसानों को पशु किसान क्रेडिट कार्ड वितरित किए जा चुके हैं तथा 52 किसानों के कार्डों के आवेदन विभिन्न बैंकों द्वारा स्वीकृत किए जा चुके हैं। इस योजना के तहत पशुपालक को पशुओं के रख-रखाव के लिए ऋण के रूप में अधिकतम तीन लाख रुपये तक की सहायता दी जाती है।
दलाल ने कहा कि हरियाणा की श्वेत क्रांति को सफल बनाने का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2013-14 में प्रदेश का दुग्ध उत्पादन 74.42 लाख टन का था जो, वर्ष 2018-19 से बढक़र 107.26 लाख टन पहुंच गया है तथा प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता 800 ग्राम से बढक़र 1087 ग्राम तक पहुंच गई है जिससे हरियाणा देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से दिल्ली व आसपास की लगभग 5 करोड़ जनसंख्या की रोजमर्रा की फल-फूल, सब्जी, दूध, अण्डे, मांस इत्यादि की जरूरतों को पूरा करने में हरियाणा अन्य राज्यों की तुलना में सबसे उपयुक्त है। प्रदेश के किसान की पकड़ इस बाजार पर हो, इस दिशा में हरियाणा ने आगे बढऩे की पहल की है और किसानों के लिए नई-नई योजनाएं तैयार की हैं।
दलाल ने कहा कि इसी प्रकार, मत्स्य उत्पादन में भी हरियाणा का उल्लेखनीय प्रदर्शन रहा है। वर्ष 2013-14 में मत्स्य पालन के अधीन 16450 हैैक्टेयर तथा उत्पादन 105266 मीट्रिक टन था जो वर्ष 2019-20 में बढक़र 17216 हैक्टेयर क्षेत्र तथा 173316 मीट्रिक टन पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान मत्स्य पालन के लिए तालाबों की संख्या 7486 से बढक़र 10416 हो गई है। इसके अलावा, हरियाणा तालाब विकास प्राधिकरण का गठन भी किया गया है जिसके तहत लगभग 15 हजार से अधिक तालाबों का पानी तीन स्तरीय, पांच स्तरीय प्रणाली से उपचारित कर सिंचाई व अन्य कार्यों के लिए उपयोग करने की योजना बनाई है। हरियाणा के इस प्रबंधन को देखते हुए केन्द्र सरकार की ओर से जल स्त्रोतों के अनुकुल एवं कुशल प्रबंधन को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
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