चण्डीगढ़, 22 नवम्बर-हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज फिर लाइव कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेशवासियों से रूबरू होकर न केवल प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलों के प्रति चिंता जाहिर की, बल्कि उन्होंने नए बने तीन कृषि कानूनों के प्रति किसानों को आश्वस्त भी किया। साथ ही, उन्होंने प्रदेश की बेहतरी के लिए कर्मचारियों से भी इस संकट की घड़ी में किसी तरह की हड़ताल या धरने प्रदर्शन न करने की अपील की।
मुख्यमंत्री ने लोगों से मुखातिब होते हुए कहा कि लगभग 9 महीने पहले मार्च में जब यह महामारी आई थी, उससे पहले किसी ने इसके बारे में नहीं सुना था। हमें इससे छुटकारा पाने के रास्तों का भी पता नहीं था और लोगों में भय का माहौल बना हुआ था। इसे ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लॉकडाउन-1, 2 और 3 लगाए गए और उसके बाद अनलॉक की प्रक्रिया भी शुरू हुई। लॉकडाउन के दौरान लोगों के उद्योग-धंधे चौपट हो गए। ऐसे हालात में काफी मजदूर अपने प्रदेशों को लौट गए। इन परिस्थितियों में सरकार ने गरीब-मजदूर का सहयोग किया और उन्हें 1200 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गई।
मनोहर लाल ने कहा कि अब कोरोना तीसरे चरण में पहुंच चुका है और प्रदेश में हर रोज लगभग 2500 से 3000 लोग संक्रमित हो रहे हैं। गत 9 महीने का अनुभव बताता है कि हमें सावधान होकर इस लड़ाई को लडऩा होगा। उन्होंने प्रदेशवासियों से भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि अगर आप नहीं चाहते कि आप या आपका कोई अपना इस बीमारी की चपेट में आए तो मास्क पहनकर रखें, हर हाल में 2 गज की दूरी बनाए रखें और किसी न किसी इम्यूनिटी बूस्टर का सेवन करते रहें। उन्होंने लोगों से यह भी अपील की कि वे हर समय अपनी जेब में 4-5 मास्क डालकर रखें और जब भी किसी को बिना मास्क देखें तो उसे तुरंत मास्क देकर पहनने को कहें। उन्होंने कहा कि सरकार पर्याप्त मात्रा में मास्क उपलब्ध करवाने की व्यवस्था कर रही है और स्वास्थ्य विभाग को एक करोड़ मास्क तैयार करवाने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि मास्क न पहनने पर जुर्माना राशि 500 या 2000 रुपये करने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता क्योंकि हर चीज को दंड से ठीक नहीं किया जा सकता। लेकिन बार-बार नियम तोडऩे वालों को दंडित अवश्य किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज सरकार के पास पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हैं और मृत्यु दर भी अन्य प्रदेशों के मुकाबले कम है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में मृत्यु दर 1.01 प्रतिशत है जबकि पंजाब में यह 3.2 प्रतिशत है। इसी तरह, हमारे यहां रिकवरी दर 90 प्रतिशत है और प्रदेश में रोजाना 35 हजार टैस्ट किए जा रहे हैं। अब तक 12.5 प्रतिशत के हिसाब से लगभग 32 लाख लोगों का टैस्ट किया जा चुका है। गत दिनों किए गए सीरो टैस्ट के दौरान पता लगा कि 14 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिनका टैस्ट भी नहीं हुआ और वे पॉजिटिव होकर ठीक हो चुके हैं। ऐसे लोगों की संख्या लगभग 35 लाख है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कोविड-19 की टैस्टिंग के लिए 28 लैब बनाई गई हैं और बढ़ते मामलों के दृष्टिगत 46 हजार बैड की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, 5 प्लाज्मा बैंक भी बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 3729 लोगों ने प्लाज्मा दान किया है और 2522 लोगों को यह चढ़ाया गया है।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि चूंकि ऑनलाइन शिक्षा का लाभ संसाधनों की कमी के चलते हर बच्चे को नहीं मिल रहा था, इसलिए स्कूल खोलने का निर्णय लेना पड़ा। लेकिन हाल ही में विद्यार्थियों और शिक्षकों के पॉजिटिव पाए जाने पर 30 नवम्बर तक स्कूल बंद कर दिए गए हैं। अब जब भी पुन: स्कूल खोले जाएंगे तो उनके घर या मोहल्ले में ही कोविड टैस्ट करवाया जाएगा।
दोबारा लॉकडाउन लगाने की संभावना पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे कठिनाई ज्यादा होती है। पहले जब लॉकडाउन लगाया गया था तो बाजार, फैक्ट्रियां व कारोबार बंद हो गए थे। इसलिए हमें इस बात का ध्यान रखना है कि ऐसा दोबारा न करना पड़े।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस मौके पर किसानों से अपील करते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दलों द्वारा तीन कृषि कानूनों के बारे में किसानों को बरगलाया जा रहा है। ऐसे में उन्हें सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कुछ किसान संगठनों ने तीन बिलों के मुद्दे पर दिल्ली जाने का आह्वïन किया है। अब चूंकि ये तीनों बिल कानून का रूप ले चुके हैं, इसलिए इनका विरोध करने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान भाइयों को यह समझने की जरूरत है कि इन तीन कानूनों से उन्हें किसी तरह का नुकसान नहीं होगा बल्कि इनके आने से किसानों के लिए नए अवसर पैदा होंगे और वे अपनी फसल कहीं भी बेच सकेंगे। इनके आने से न तो मंडियां खत्म होंगी और न ही एमएसपी। इस समय भी धान, बाजरा,मूंग, मूंगफली और कपास जैसी फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूूल्य पर की जा रही है। उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि इस सीजन में धान की खरीद एमएसपी पर की गई और रबी सीजन में गेहूं की खरीद भी एमएसपी पर की जाएगी। इसके अलावा, च्आत्मनिर्भर भारतज् के तहत भी किसानों और कृषि के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं।
पराली जलाने के मामले पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले विकल्प न होने के कारण किसानों को पराली जलानी पड़ती थी। लेकिन आज गत्ते की फैक्ट्री, ईंधन और चारे के रूप में इसका उपयोग होने लगा है। आज पराली 1500 रुपये मीट्रिक टन के हिसाब से बिक रही है। इसके अलावा सरकार की तरफ से भी अनुदान दिया जा रहा है । साथ ही, उन्होंने किसानों से पानी की बचत करने की भी अपील की और पानी की कमी वाले इलाकों में धान की बजाय अन्य फसल उगाने का आह्वïन किया।
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