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कृषि अध्यादेशों के खिलाफ हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस का हंगामा

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चण्डीगढ़, 6 नवम्बर- हरियाणा के संसदीय कार्यमंत्री  कंवर पाल ने कहा कि कांग्रेस ने आज विधानसभा में किसान हित से जुड़े मसलों पर चर्चा करने की बजाय वाक आउट कर यह साबित कर दिया है कि उन्हें किसानों की कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में चुने हुए जनप्रतिनिधियों के लिए विधानसभा सत्र जनहित के मुद्दे उठाने का सबसे महत्वपूर्ण मंच होता है। किसानों के हित में हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा पारित कृषि सुधार अधिनियमों पर जब आज नियम 184 के तहत चर्चा का समय आया तो  विपक्ष के नेता श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सहित कांग्रेस के अन्य विधायक जानबूझकर चर्चा से बचते नजर आए। 

 विधानसभा सत्र के दूसरे दिन आज सदन में कृषि सुधार बिलों पर चर्चा आरम्भ हुई तो कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने चर्चा से बचने का बहाना बनाकर बार-बार गैलरी में आकर कार्यवाही को बाधित किया। इसके बाबजूद विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञान चन्द गुप्ता ने सदन को दो बार स्थगित किया ताकि बिलों पर चर्चा की जा सके। उन्होंने कहा कि विधानसभा संचालन नियमावली के नियम 184 में स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी प्रस्ताव पर चर्चा के बिना वोटिंग नहीं की जा सकती। यह तो कांग्रेस के विधायक एवं पूर्व स्पीकर डा0 रघुबीर कादियान को भी अच्छी तरह मालूम है, फिर भी वे जानबूझकर दूसरे विधायकों को उकसाते रहे। इसी प्रकार, विधायक बी बी बत्तरा जो खुद कानून के ज्ञाता हैं, उनका व्यवहार भी सदन की मर्यादाओं के विपरीत था। 

कंवरपाल ने कहा कि सदन के नेता मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कृषि सुधार बिलों पर एक प्रस्ताव रखा कि इसे सर्वसम्मति से पारित कर केन्द्र सरकार को धन्यवाद के लिए भेजा जाए।

उन्होंने कहा कि सबको मालूम है कि इन तीन बिलों से किसानों का किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होने वाला है और मंडियों में पहले की तरह न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद होती रहेगी। पंजाब में तो केवल धान व गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होती है, लेकिन हरियाणा की मंडियों में धान व गेहूं के अलावा, सरसों, बाजरा, मूंग, मूंगफली, सूरजमुखी आदि फसलों की खरीद भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाती है। उन्होंने कहा कि शायद ही देश के किसी राज्य की मंडियों में इतनी फसलों की खरीद होती होगी।


          

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