नई दिल्ली- उसने कई साल पहले अपने मंसूबे जाहिर कर दिए थे जब उसने जेएनयू में भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगाए थे। वोट लोभी कुछ पार्टियों के नेताओं का उसको साथ मिला और उसके हौसले बढ़ते गए और इसी साल उसने दिल्ली में 53 लोगो को मरवा डाला। देश के कुछ नेता अब भी उसका साथ देते देखे गए। बात कर रहे हैं जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद की जिसके बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। उमर खालिद और शरजील इमाम दिल्ली दंगों के आका थे और इन्ही दोनों ने दंगों की साजिश रची थी। दिल्ली पुलिस ने 200 पन्नों की चार्जशीट दायर कर दी है। कुछ खास जानकारियां इस तरह से हैं।
उमर खालिद में चांदबाग में गुप्त आफिस बनाया था जहां से वो दंगों की तैयारी कर रहा था और आपको बता दें कि सबसे पहले चांदबाग से ही दंगे शुरू हुए थे और कांस्टेबल रतनलाल की यहीं हत्या हुई थी।
देश के कई शहरों की सड़कें उस दौरान शाहीन बाग़ बनी जिन सबका संचालन उमर खालिद ही अपने गुप्त आफिस से करता था और देर रात्रि इस आफिस में गुप्त बैठकें भी होती थीं। उमर खालिद देश के अन्य हिस्सों में भी जाता था जहाँ लोग शाहीन बाग़ जैसे सड़क जाम कर बैठे थे।
केंद्रीय कैबिनेट ने जब नागरिकता संशोधन क़ानून संसद में पेश करने की जैसी ही मंजूरी दी तो उम्र खालिद पूरे देश में समान सोच वाले लोगों के साथ संपर्क कर प्लानिंग में जुट गया। उसने शरजील इमाम के जरिए मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू (MSJ) नामक समूह बनाया। पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक़ 'खालिद ने एमएसजे का इस्तेमाल दिसंबर 2019 में साउथ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट में हिंसा भड़काने में किया जिसके बाद शाहीन बाग का धरना शुरू हो गया। उसके बाद उसने मौजूदा केंद्र सरकार से नफरत करने वालों का एक गठबंधन बनाने की योजना पर आगे बढ़ा और वॉट्सऐप पर दिल्ली प्रॉटेस्ट सपॉर्ट ग्रुप बन गया। देश के कुछ वोतलोभी पार्टियों के नेताओं का उसको लगातार साथ मिलता गया। कई बकलोल नेता शाहीन बाग़ भी भाषण देने पहुँच गए इसलिए खालिद के हौसले लगातार बढ़ते गए।
दिल्ली पुलिस का दावा है कि उमर खालिद के प्रयासों से ही एक महीने के अंदर 24 अन्य जगहों पर शाहीन बाग जैसा धरना-प्रदर्शन शुरू हो गया और उसने ही 23/24 फरवरी के दंगों को अंजाम दिलवाया। पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है, 'वो प्रमुख रणनीतिकारों में एक था जिसने तय किया कि दिसंबर 2019 की हिंसा को अमेरिकी राष्ट्रपति के दौरे के वक्त कहीं ज्यादा बड़े और घातक पैमाने पर दोहराया जाएगा। महाराष्ट्र के अमरावती में 17 फरवरी को दिया गया उसका भाषण इस बात की गवाही देता है।
रिपोर्ट आगे कहती है, 'उसका मानना था कि ट्रंप के साथ आ रहा अंतरराष्ट्रीय मीडिया दंगों को कवर करेगा जिससे केंद्र सरकार की दुनियाभर में भारी फजीहत होगी। जाफराबाद और चांद बाद को दंगों का हॉटस्पॉट बनाने की साजिशकर्ताओं में उसकी शीर्ष भूमिका थी। स्पेशल सेल का यह भी दावा है कि उसके पास खालिद के उन लोगों के खिलाफ भी पर्याप्त सबूत हैं जिन्होंने उसकी योजना के मुताबिक जगह-जगह जाकर दंगों की रूपरेखा तय की थी। इसने लखनऊ, मुंबई सहित कई शहरों की सड़कों को शाहीन बाग़ बनवाया। देश विरोधी ताकतें इसके लिए फंडिंग कर रहीं थीं। आपको बता दें कि उमर खालिद तिहाड़ जेल में बंद है। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने इसे 13 सितम्बर को गिरफ्तार किया था।
इसने जब जेएनयू में भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगाए थे और इसे वोट लोभी पार्टियों के नेताओं का साथ मिला था और उस समय केजरीवाल भी इसके प्रति नरम थे और उस मामले में दिल्ली सरकार काफी समय पर चार्जशीट पर हस्ताक्षर नहीं किया जिसके बाद इसके हौसले बढ़ते गए और फरवरी में इसके मंसूबे पूरे हो गए जब दिल्ली में आग लगवा दी। शरजील इमाम की बात करें तो ये वही है जो भारत को असम से काटने की बात कर था। ये कह रहा था कि जब जनता गुस्से में हो तो हमें उसका फायदा उठाना चाहिए। फिर देखें पहले वाला वीडियो, इस वीडियो से समझ में आ जाएगा कि कैसे और कितने जहरीले हैं ये
ये है शरजील इमाम, शाहीन बाग जमावड़ा का संयोजक,ये AMU में अपने भाइयों के बीच जहर उगला रहा है-असम को भारत से अलग करने-अपने गुस्सा से देश को तोड़ने-गैर मुस्लिम को मुस्लिमों के शर्त पर लाना-असम मुस्लिमों का है- भारतीय फौज की असम जाने से रोकना— CA O P Mishra (@caopmishra) January 25, 2020
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