नई दिल्ली- कोरोना के नाम पर भारत में दो तरह के नियम क़ानून पर बड़े सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि नेताओ के लिए अलग क़ानून है और जनता के लिए अलग तरह का क़ानून है। हाल में देश के कई राज्यों में हुए उप-चुनाव और बिहार बिधानसभा चुनाव में भी ऐसे ही सवाल उठे थे। कल होने वाले हैदराबाद निकाय चुनाव के पहले वहां भी बड़ी-बड़ी रैलियां देखी गईं जिसके बाद से फिर सवाल उठने लगे हैं।
नेताओ के चुनाव प्रचार करने से कॉरोना नहीं होता है, केवल किसानों , छात्रों के आंदोलन करने से कॉरोना होता है। बाकी हैदराबाद में वैक्सीन बट रहीं है। बिहार में जो कि बंट चुकी है।😀😀
— Shweta Choudhary (@SPatel50518698) November 29, 2020
भाजपा समर्थक कहे जाने वाले भय्याजी ने लिखा है कि भारत में मजाक चल रहा है। कोरोना काल में भी बड़ी बड़ी ‘चुनावी रैलियाँ’ और ‘राजनीतिक इवेंट’ हो रहे हैं, पर ‘कोरोना’ तभी फैलेगा अगर गाड़ी में दो की जगह तीन व्यक्ति बैठ गया। राजनीतिक व्यक्ति को सब छूट है, गरीब मोटा फ़ाइन देकर सरकारी ख़ज़ाना भरे। राजनेता ग़लत उदाहरण पेश कर रहे हैं।
मास्क नहीं पहने तो 2000 देना होगा, सोशल डिस्टन्सिंग का उल्लंघन हुआ तो 5000 और कहीं शादी में 4 आदमी बढ़ गए तब तो 20 हज़ार के ऊपर के लपेटे में आ जाएँगे, क्यूँकि कोरोना एक बेहद खतरनाक बीमारी है। पर चुनावी रैली में हज़ारों की भीड़ जुटाने के उल्टे 500-1000 रु मिलेंगे।
वाह रे भारत।
मास्क नहीं पहने तो 2000 देना होगा, सोशल डिस्टन्सिंग का उल्लंघन हुआ तो 5000 और कहीं शादी में 4 आदमी बढ़ गए तब तो 20 हज़ार के ऊपर के लपेटे में आ जाएँगे, क्यूँकि कोरोना एक बेहद खतरनाक बीमारी है।
पर चुनावी रैली में हज़ारों की भीड़ जुटाने के उल्टे 500-1000 रु मिलेंगे।
वाह रे भारत।— Bhaiyyaji (@bhaiyyajispeaks) November 30, 2020
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