नई दिल्ली- बिहार चुनाव में कड़े मुकाबले के बाद आखिरकार नीतीश कुमार की नैया पार हो ही गई और 125 सीटों के साथ बिहार में फिर एक बार एनडीए की सरकार बनने जा रही है। सत्तारूढ़ गठबंधन यानी एनडीए ने बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 125 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि राजद महागठबंधन ने 110 सीटें जीतीं। इसके साथ की नीतीश कुमार के लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की राह साफ हो गई है। हालांकि इस बार उनकी पार्टी जदयू को 2015 जैसी सफलता नहीं मिली है। जदयू को 2015 में मिली 71 सीटों की तुलना में इस बार 43 सीटें ही मिली हैं। उस समय कुमार ने लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव जीता था। इस चुनाव में कांग्रेस को मात्र 19 सीटें मिलीं जिससे तेजस्वी का खेल ख़राब हो गया। चुनावों के पहले कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने जमकर बैटिंग की थी ,शशि थरूर ने पाकिस्तान जाकर कांग्रेस के लिए बैटिंग की थी और भारत को बदनाम करने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी। पिछले महीने उन्होंने पाकिस्तान के मंच से कहा था कि भारत में मुसलमानों और उत्तर-पूर्व के लोगों के साथ भेदभाव होता है। उन्होंने कहा कि भारत में एक दूसरे से डर का माहौल है। चीनी जैसे दिखने वाले लोगों के साथ भेदभाव होता है। उन्होंने तबलीगी जमात का पक्ष लेते हुए कहा कि कोरोना के समय में मुसलमानों को परेशान किया गया। थरूर के इस बयान का भाजपा ने बिहार चुनावों में फायदा उठाया जिसका भाजपा को फायदा भी मिला।
कांग्रेस के एक और बड़े नेता पी चिदंबरम ने भी इसे दौरान कांग्रेस के लिए जोरदार बैटिंग की थी। 16 अक्टूबर को पी चिदंबरम ने ट्वीट कर Article -370 की बहाली को लेकर कांग्रेस ने फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती का समर्थन किया था। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि केंद्र सरकार को Article -370 के विशेष प्रावधान हटाने संबंधी फैसलों को निरस्त किया जाना चाहिए। उनके इस बयान पर भाजपा ने हल्ला बोल दिया और चुनावों में फायदा उठाना शुरू कर दिया। बचा काम योगी ने कर दिया। हर मंच पर योगी बिहार वालों को कहने थे कि तीन साल में राम मंदिर बन जाएगा और आप सबको अयोध्या बुलाऊंगा। कांग्रेस के ये दो नेता नायक नहीं खलनायक साबित हुए। घर बैठे भाजपा को बड़ा मुद्दा दे दिया। चुनावों के दौरान कांग्रेस के कुछ बड़े नेता कई वर्षों से ऐसी बैटिंग करते आ रहे हैं जिसका भाजपा को फायदा मिलता आ रहा है। इस बार मणि शंकर अय्यर ने कोई बैटिंग नहीं किया नहीं तो कांग्रेस की हालत और खस्ता होती। हिंदी भाषी राज्यों के लोग देश के खिलाफ बोलने वालों को कदापि पसंद नहीं करते और धारा 370 और राम मंदिर देश के लिए ऐतिहासिक फैसले भाजपा के हैं। इसे नकारा नहीं जा सकता। यही कारण है कि कई राज्यों में उप चुनाव में भी विपक्ष को ज्यादा सफलता नहीं मिली।
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