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आलू, प्याज की कीमतों में आग, जमाखोर कमा रहे हैं करोड़ों, सरकार नींद में

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नई दिल्ली- दुकानदार ग्राहकों का रास्ता देखते रहते हैं और ग्राहक आते हैं तो दाम पूंछ आगे बढ़ जाते हैं। देश की बाजारों में आलू बेंचने वालों का यही हाल है। अब तो हालात यहाँ तक पहुँच गए हैं कि लोग एक-एक पाव ( 250 ) ग्राम तक आलू खरीदने लगे हैं। आलू जिसका सभी सब्जियों में प्रयोग किया जाता है लेकिन वर्तमान समय में देश के करोड़ों लोगों के किचन में शायद ढूंढें से ही आलू मिले। आम आदमी भी अब आलू की पहुँच से बाहर है। कभी-कभार ही लोग आलू खरीद रहे हैं। कई राज्यों में इन दिनों आलू की बुआई भी होती है और किसान छोटे आलू को खरीदकर खेतों में बोते हैं जिसका दाम भी अब आसमान पर है ऐसे में छोटे किसान आलू की बुआई बहुत कम कर रहे हैं। देश की तमाम बड़ी मंडियों में 40 से 50 रूपये तक बिक रही आलू अब गरीब और आम आदमी को रुलाने लगी है। सरकार तमाशा देख रही है और जमाखोर मौज कर रहे हैं। 

कृषि क्षेत्र के जानकार की मानें तो केंद्र सरकार ने आलू और प्याज को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया है. इसलिए जमाखोरी लीगल हो गई है।  किसानों को तो कुछ मिल नहीं रहा, व्यापारी मजे ले रहे हैं।  जिस तरह से 31 दिसंबर तक प्याज के स्टॉक पर लिमिट लगा दी गई है उसी तरह से आलू पर भी लगाना होगा वरना जमाखोर महंगाई बढ़ाते रहेंगे. दाम बढ़ाने का सारा खेल बिचौलिए खेल रहे हैं।  किसान का इसमें कोई रोल नहीं है।  जब किसान के खेत से आलू निकलेगा तो कोई उसे 5 रुपये किलो भी नहीं खरीदता। उनकी मानें तो जमाखोर कुछ ही महीने में करोड़ों अरबों का खेल कर चुके हैं और कर रहे हैं। अब भी दाम कम होने की बजाय बढ़ रहे हैं ऐसा सिर्फ जमाखोरी की कारण हो रहा है। 

आलू ही नहीं प्याज और टमाटर भी आम जनता की पहुँच से बाहर है। सब्जी मंडियों में टमाटर जहाँ 40 से 60 रूपये प्रति किलो है तो प्याज 50 से 80 रूपये प्रति किलो बिक रही है। जनता पर  मंहगाई की भयंकर मार पड़ रही है शायद यही वजह है लोग अब मोदी सरकार से नाराज होने लगे हैं। भाजपा के मंत्री वगैरा भी इस पर कुछ नहीं सोंच रहे हैं। वो क्यू सोंचे शायद वो खुद भी मालामाल हो रहे हैं जनता जाए भाड़ में, राम मंदिर तो बन ही रहा है। चुनाव के समय राम, राम और मोदी-मोदी कर नाव पार ही लग जाएगी। जनता मरे तो मरे, भूख से मरे या बीमारी से नेताओं को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। सब मस्त हैं अपने मस्ती में। 

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