नई दिल्ली: बिहार हार के बाद तमाम लोग कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर सवाल उठा रहे हैं। सवाल उठाने वालों में कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भी शामिल हैं। तारिक अनवर के बाद कपिल सिब्बल, वेद प्रकाश विद्रोही जैसे नेता कांग्रेस से आत्मचिंतन करने की अपील कर रहे हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल ने बिहार चुनाव में पार्टी के बेहद खराब प्रदर्शन के बहाने शीर्ष नेतृत्व पर करारा हमला बोला और उन्होंने यहां तक कह दिया कि पार्टी ने शायद हर चुनाव में पराजय को ही अपनी नियती मान ली है। इससे पहले बिहार कांग्रेस के बड़े नेता तारीक अनवर ने भी कहा कि बिहार चुनाव परिणाम पर पार्टी के अंदर मंथन होना चाहिए। उधर, आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने इशारों-इशारों में कह दिया कि कांग्रेस देशभर में अपने गठबंधन सहयोगियों पर बोझ बनती जा रही है और उसकी वजह से हर जगह गठबंधन का खेल खराब हो रहा है।
सिब्बल ने अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा कि 'बिहार (चुनाव) और उपचुनावों में हालिया प्रदर्शन पर कांग्रेस पार्टी (के शीर्ष नेतृत्व) के विचार अब तक सामने नहीं आए हैं। शायद उन्हें लगता हो कि सब ठीक है और इसे सामान्य घटना ही माना जाना चाहिए। सिब्बल से सवाल था कि क्या आपको लगता है कि कांग्रेस लीडरशिप एक और हार को सामान्य घटना मान रही है? उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता। मैं सिर्फ अपनी बात कर रहा हूं। मैंने लीडरशिप को कुछ कहते नहीं सुना। इसलिए मुझे नहीं पता। मुझ तक सिर्फ नेतृत्व के ईर्द-गीर्द के लोगों की आवाज पहुंचती है। मुझे सिर्फ इतना ही पता होता है। उन्होंने कहा कि देश के लोग कांग्रेस को प्रभारी विकल्प नहीं मान रहे हैं इसलिए बिहार और कई राज्यों में हुए उप चुनाव में कांग्रेस को फायदा नहीं मिला। उन्होंने इसका उदाहरण भी दिया। वहीं हरियाणा के कांग्रेस प्रवक्ता वेद प्रकाश विद्रोही ने कहा कि कांग्रेस को कुछ समझाना भैंस के आगे बीन बजाना है।
सिब्बल सहित 23 वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पहले भी सवाल उठा चुके है और उस समय राहुल गांधी ने सिब्बल को भाजपा की भाषा बोलने का आरोप लगाया था। ऐसा लगता है कि वर्तमान में कांग्रेस पर कोई कांग्रेसी नेता बोलेगा और आइना दिखायेगा तो उस पर भाजपा की ही भाषा बोलने का आरोप लगेगा। कांग्रेस हाईकमान की कमजोरी का फायदा भाजपा को मिल रहा है। कांग्रेस समर्थक और कांग्रेस के कार्यकर्ता उस समय बहुत निराश होते हैं जब कहीं कांग्रेस की हार होती है और सूत्रों की मानें तो हर हार का जिम्मेदार राहुल गांधी को ही मानते हैं लेकिन मजबूरन आवाज नहीं उठा पाते हैं क्यू कि बड़े पद की लालच में राहुल गांधी के आस-पास ऐसे कांग्रेसी नेता घूम रहे हैं जो चुँगली कर देते हैं और आवाज उठाने वाले को हे लताड़ा जाता है।
कांग्रेस का एक धड़ा हर हार के बार राहुल गांधी के बचाव में खड़ा हो जाता है और अब भी सोशल मीडिया पर वो धड़ा देखा जा रहा है। आपको बता दें कि हल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद ने एक ट्वीट कर राहुल गांधी को कांग्रेस का भगवान् कहा था। उन्होंने एक वीडियो पोस्ट कर लिखा था कि राहुल गांधी “कांग्रेस” के भगवान हैं, जिसे जो करना हो कर ले. देखें खबर जारी है।
आचार्य प्रमोद कृष्णम बड़े ज्ञानी कहे जाते हैं। रंग रूप और कद देख बाबा कहे जाते हैं लेकिन इनकी करतूत का भी आज एक पुराना आडियो आज फिर वायरल हुआ और सुनने वाले फिर लिख रहे है कि एक बाबा की इतनी घटिया भाषा, इतनी गंदी गाली, ये कोई बाबा नहीं हो सकते और कांग्रेस का भी सत्यानाश कर रहे हैं और अगर राहुल गांधी ऐसे भक्तों के भगवान् है तो कांग्रेस का राम ही मालिक है। इस आडियो को सुनने के पहले हेडफोन लगाएं सार्वजनिक न सुनें नहीं तो आप भी कहेंगे कि ये कैसा बाबा है। पोस्ट के नीचे एक आडियो है सुनें कैसे बाबा हैं ये
ऐसे लोगों के भगवान् हैं राहुल गांधी, लोग लिख रहे हैं कि चमचागीरी की बाबा ने हद पार कर दी है। अधिकतर लोगों का कहना है कि पूरी कांग्रेस मिलकर अपना अध्यक्ष नहीं चुन सकती। घूम फिर कर गांधी परिवार को ही अध्यक्ष बनाया जाता है। किसी में आवाज उठाने की हिम्मत नहीं है। अगर ऐसा ही रहा तो कांग्रेस भूल जाए कि वो 20 साल केंद्र में सत्ता के करीब आएगी। फिलहाल मोदी दहाड़ रहे हैं। योगी पीछे-पीछे दौड़ रहे हैं। योगी अभी 48 साल के ही हैं। 20 साल तक बिना रुके काम कर सकते है। राहुल गांधी अर्धशतक यानि 50 साल के है। गुस्से में ज्यादा रहते हैं। अच्छी बातें भी गुस्से में ही बोलते हैं जबकि पीएम मोदी की बातों में चाशनी होती है। उनकी ख़राब बातें भी जनता को भा जाती है क्यू कि प्यार से बोलते हैं। राहुल गांधी को कोई समझा नहीं सकता जिसका नुक्सान कांग्रेस को लगातार हो रहा है। कांग्रेस के पास एक ही बड़ा रास्ता है वो कि या तो गांधी परिवार के अलांवा किसी को बड़ी जिम्मेदारी दी जाये या प्रियंका को आजमाया जाए। वैसे प्रियंका को आजमाने पर राबर्ट वाड्रा बीच में लाये जा सकते हैं और कांग्रेस को ज्यादा फायदा नहीं मिल सकता।
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