नई दिल्ली- रिपब्लिक टीवी के एडिटर अर्नब गोस्वामी को अभी कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। दोपहर से ही कोर्ट में उनकी जमानत पर उनके वकील हरीश साल्वे बहस कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट में दोपहर बाद क्या क्या हुआ पढ़ें।
- उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकारों द्वारा विचारधारा, मतभेदों के आधार पर लोगों को निशाना बनाए जाने को लेकर चिंता व्यक्त की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम लगातार ऐसे मामले देख रहे हैं जहां उच्च न्यायालय लोगों को जमानत नहीं दे रहा और उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करने में नाकाम रहा है।
-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकार किसी व्यक्ति को निशाना बनाती है तो उसे पता होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए शीर्ष अदालत है।
-उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर संवैधानिक अदालत हस्तेक्षप नहीं करती तो, हम निश्चित रूप से विनाश की राह पर चल रहे हैं।
-उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है, महाराष्ट्र सरकार को इन सब (टीवी पर अर्नब के तानों) को अनदेखा करना चाहिए।
-अर्नब गोस्वामी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर किसी की निजी स्वतंत्रता का हनन हुआ तो वह न्याय पर आघात होगा।
-उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र से पूछा कि क्या अर्नब गोस्वामी के मामले में हिरासत में लेकर पूछताछ किए जाने की जरूरत है? कोर्ट ने आगे कहा,' हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मुद्दे से निपट रहे हैं।'
-अर्नब की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'अगर हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा?... अगर कोई राज्य किसी व्यक्ति को टारगेट करता है, तो हमें एक मजबूत संदेश देने की आवश्यकता है... हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है।
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