फरीदाबाद- उभरते शायर एवं कवि प्रवीण गोयल की कुछ लाइनें पढ़ें
कहानी मे कुछ तो अनकहे किससे जरुर रहे होंगे. इसलिए आज तक उनके दिल मे हम रहे होंगे 🙏
कौन कहता है मे कहा रहता हूँ. एक बार खुद से पुछ तेरे दिल मे रहता हूँ
बातो को किछ्ना मुजको नहि आता. जो दिल मे बस जाये फ़िर वापिस नहि जाता.
आँखो मे नीद है ख्वाब हम बहुत देखते है जिनको हम देखते हैं वो दाये बाये देखते है
जीन इरादो मे दम नहीं वो हम काम नहीं करते. इशक़ तो करते है हम बेफ़ाइ नही करते.
ना मै मन्दिर ना मस्जिद की बात करता हूं मैं शायर हू बस दिल की बात करता हूँ ,
ये रात कितनी रंगीन हो गई है. लगता है यार उसकी सादी हो गाइ है.
. क्या लिखु मे क्या ना लिखु मे. तुम कहो तो एक पैगाम लिखु मे. यू ही हर रोज सपनो मे आ जाती हो तुम. अगर सक है तो एक किताब लिखु मैं।
ये रात कितनी रंगीन हो गई है. लगता है यार उसकी सादी हो गाइ है.
. क्या लिखु मे क्या ना लिखु मे. तुम कहो तो एक पैगाम लिखु मे. यू ही हर रोज सपनो मे आ जाती हो तुम. अगर सक है तो एक किताब लिखु मैं।
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