चण्डीगढ़,- मैसर्स साना रीयल्टर्स प्राईवेट लिमिटिड द्वारा गुरूग्राम के सेक्टर-67 में विकसित किए जा रहे ‘प्रैसिजन सोहो टॉवर’ नामक प्रोजेक्ट के अलाटियों से मिली शिकायतों का संज्ञान लेते हुए हरेरा, गुरुग्राम ने उक्त बिल्डर अथवा प्रोमोटर के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने का निर्णय लिया है। इसमें प्रोमोटर को देरी के लिए लगभग 3 करोड़ रूपए का जुर्माना भरने, स्वीकृत बिल्डिंग प्लान में संशोधन के बगैर विभिन्न ईकाइयों के क्षेत्रफल में बदलाव करने के मामले में जांच के लिए फोरैंसिक ऑडिटर नियुक्त करने तथा प्रोमोटर को अथॉरिटी के समक्ष सभी दस्तावेजों के साथ पेश होने के वारंट जारी करने के आदेश शामिल हैं।
गुरुग्राम, हरेरा के चेयरमैन डा. के के खंडेलवाल की अध्यक्षता में हरियाणा रीयल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी( हरेरा) गुरुग्राम की बैंच ने यह निर्णय लिया है कि अलाटियों को प्रोमोटर द्वारा देरी से पोजेशन के लिए हर महीने चार्जिज देने होंगे, जिसकी राशि लगभग 3 करोड़ रूपए बनती है। अथॉरिटी ने अलाटियों को वास्तविक पोजेशन मिलने तक देरी के लिए यह जुर्माना लगाया है। इसके अलावा, अथॉरिटी ने प्रोमोटर के वारंट जारी करने के आदेश देते हुए उसे प्रोजेक्ट के सभी दस्तावेजों के साथ अथॉरिटी के समक्ष प्रस्तुत होने के लिए कहा है। कई बार नोटिस दिए जाने के बावजूद भी प्रोमोटर अभी तक अथॉरिटी के सामने प्रस्तुत नहीं हुआ है। इस बैंच के दोनों सदस्य समीर कुमार तथा सुभाष चंद कुश भी सुनवाई के दौरान उपस्थित थे।
मैसर्स साना रीयल्टर्स प्राईवेट लिमिटिड के खिलाफ प्राप्त शिकायतों की सुनवाई के दौरान हरेरा, गुरूग्राम ने पाया कि प्रोमोटर और अलाटियों के बीच बिल्डर-बायर अग्रीमेंट सन् 2010 और 2011 में हुए थे और उसके अनुसार पोजेशन 2013 और 2014 में दिया जाना था लेकिन अभी तक प्रोमोटर ने वैध रूप से पोजेशन नहीं दिया है। अथॉरिटी ने कहा कि प्रोमोटर का यह फर्ज था कि ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट (ओसी) मिलने की तिथि से वह अलाटियों को तीन महीने की अवधि में पोजेशन दें। ऐसा नहीं करने पर उसने रेरा एक्ट की धारा-17 (1) का उल्लंघन किया है।
अथॉरिटी की बैंच ने आज रेरा एक्ट की धारा 17(1) के उल्लंघन के लिए दण्डात्मक प्रक्रिया शुरू करने तथा धारा-61 के तहत प्रोमोटर के खिलाफ कार्यवाही करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए उसको कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्णय भी लिया है। रेरा एक्ट की धारा-61 के तहत प्रोमोटर पर रीयल एस्टेट प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत का 5 प्रतिशत तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इसके अलावा, अथॉरिटी ने प्रोमोटर द्वारा सुपर एरिया में वृद्धि के नाम पर मांगी गई राशि वापिस लौटाने के आदेश भी दिए हैं। सुपर एरिया में वृद्धि का कोई औचित्य नहीं है। इसके लिए एक फोरैंसिक ऑडिटर भी नियुक्त करने का निर्णय भी लिया गया है जो प्रोजेक्ट की स्वीकृत बिल्डिंग प्लान में किसी संशोधन के बगैर विभिन्न ईकाइयों के क्षेत्रफल में बदलाव और सुपर एरिया के बढने या घटने के संबंध में जांच करेंगे।
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