नई दिल्ली- पहले शिव सेना ने नाता तोडा अब 24 साल पुराने दोस्त ने भी भाजपा से नाता तोड़ लिया है। किसानों के मुद्दों को लेकर शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा को टाटा बोल दिया है। दोनों पार्टियों में 1996 से ये दोस्ती चली आ रही थी। हाल में कृषि बिल पास हुआ जिसके बाद पार्टी की नेता ने केंद्रीय मंत्री पद से स्तीफा दे दिया था। इन दिनों पुंजाब के किसान रेल की पटरियों पर तम्बू गाड़ बैठे हैं और किसान अकाली दल के पारम्परिक मतदाता हैं और वो केंद्र सरकार से नाराज हैं। अकाली दल किसानों को नहीं छोड़ सकता इसलिए भाजपा को छोड़ दिया और अटल के समय से चली आ रही दोस्ती ख़त्म हो गई।
आपको बता दें कि लगभग 100 साल पहले 1920 में अकाली दल का गठन हुआ था और पार्टी तब से किसानों से ख़ास लगाव रखती है। इस समय पंजाब में पार्टी सत्ता से दूर है जहाँ कांग्रेस की सरकार है। कांग्रेस भी किसानो के साथ है। 2017 विधानसभा चुनावों में अकाली दल तीसरे नंबर पर जबकि आम आदमी पार्टी दुसरे नंबर पर थी। अकाली दल को 17 सीटें जबकि आप को 20 सीटें मिलीं थीं। तबसे ही पार्टी एनडीए से दूर होना चाहती थी। अब किसानों के बहाने मौका मिल गया और दूर हो गई।
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