भिवानी, 20 सितम्बर। मोदी सरकार ने आज राज्य सभा में किसान हितों की हत्या कर दी है। केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए किसान विधेयक देश में पिछले 50 से अधिक वर्षों में स्थापित हुई कृषि व्यवस्था को बर्बाद कर देंगे। ये बात हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता अशोक बुवानीवाला ने आज किसान बिल के विरोध में प्रैस को जारी अपने वक्तव्य में कही। इन तीनों विधेयकों का विरोध करते हुए बुवानीवाला ने कहा कि दो कृषि विपणन विधेयकों से किसानों को मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य और उनकी सरकारी खरीद की प्रणाली खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे किसान सर्वाधिक नुकसान झेलेंगे, मंडी व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी और किसानों के साथ आढ़ती और छोटे व्यापारी भी बर्बाद हो जाएंगे जबकि देश के बड़े पूंजीपति मालामाल होंगे। बुवानीवाला ने कहा कि नए कानून से देश में कॉन्ट्रैक्ट और प्राइवेट फार्मिंग को बढ़ावा मिलेगा। इससे किसानों का और अधिक आर्थिक शोषण होगा। उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य निगम द्वारा होने वाली उपज खरीद बंद हो जाएगी और किसानों को उपज की सही कीमत नहीं मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि दो कृषि-विपणन बिल जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और सार्वजनिक खरीद प्रणाली को अंत करने जा रहे हैं, जिससे देश में खाद्य सुरक्षा के दो स्तंभ ध्वस्त हो जाएंगे।
बुवानीवाला ने कहा कि यह कानून किसान आढ़ती के मध्य सदियों पुराने पारम्परिक रिश्तो को समाप्त कर देगा। यह कानून अब भारत में कॉर्पोरेट किसान नाम की नयी प्रजाति पैदा करेगा, किसान कुछ वर्षो में शहरो में या अपने स्वयं के खेतो में दिहाड़ी मजदूर बन कर रह जाएगा, मध्यमवर्ग के परिवारों पर महंगाई का सबसे बड़ा बोझ पड़ेगा, गेहू, चावल, दालों के ब्रांडिंग होकर कीमत कहा तक पहुचेंगी कोई अंदाजा भी नहीं लगाया सकता। उन्होंने कहा कि यह ऐसा कानून है जिसमे किसान, व्यापारी एवं उपभोक्ता, तीनो को नुक्सान होने वाला है, सिर्फ देशी विदेशी कॉर्पोरेट या बड़े बड़े उद्योगिक समूह को की लाभ है। उन्होंने कहा कि विडम्बना की बात है कि जनता द्वारा चुनी गयी सरकार इन सब तथ्य को नजरअंदाज कर रही है। बुवानीवाला ने कहा कि समूचा विपक्ष खुद एनडीए के घटक दल इन विधेयकों के विरोध में है देशभर के किसान सडक़ों पर लेकिन मोदी सरकार कॉरपोरेट प्रेम के चलते इन काले कानूनों से देश के किसानों को बर्बाद करने पर अड़ी है जो कि सरासर तानाशाही है। बुवानीवाला ने कहा कि मोदी सरकार को जनभावनाओं का सम्मान करना चाहिए और इन विधेयकों को वापिस लेना चाहिए।
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