चंडीगढ़- हरियाणा के सीएम मनोहर लाल भ्रष्टाचार को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन हाल के कई घोटालों के कारण लोग उनके दावों पर हँसते हैं। लोग कई विभागों के अधिकारियों पर सवाल उठाते हैं और उन्हें भ्रष्ट कहते हैं। प्रदेश से एक बड़ी खबर आ रही है जिसमे हरियाणा के सरकारी विभाग 11042.39 करोड़ रुपये के खर्च का हिसाब प्रधान महालेखाकार को नहीं दे पा रहे। विभागों की तरफ से राशि खर्च करने 2072 उपयोगिता प्रमाण पत्र काफी समय से जमा नहीं हुए हैं। राशि का कोई हिसाब न देने पर प्रधान महालेखाकार ने मामले को वित्त विभाग के समक्ष उठाया है।
वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने प्रधान महालेखाकार की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा न कराने वाले विभागों की अनुदान राशि पर रोक लगा दी है। 2072 उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा कराने के बाद ही संबंधित विभागों को अनुदान की अगली किस्त जारी होगी।
वित्त सचिव ने सभी विभागाध्यक्षों, डीसी, मण्डलायुक्तों व पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को इस संबंध में पत्र भी लिखा है। टीवीएसएन प्रसाद की तरफ से लिखे पत्र में कहा गया है कि विभाग खर्च राशि का ब्योरा उपयोगिता प्रमाण पत्र में बिना देरी किए प्रधान महालेखाकार को भेजें, इसकी एक प्रति वित्त विभाग को भी भेजी जाए। सरकार ने खर्च की गई अनुदान राशि का लेखाजोखा न देने को गंभीरता से लिया है।
वित्त सचिव ने विभागों को स्पष्ट कर दिया है कि सरकार की ओर से अनुदान राशि की अगली किस्त उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा होने के बाद ही जारी होगी। अगर प्रमाण पत्र नहीं दिया तो अनुदान पूरी तरह रोक दिया जाएगा। साथ ही राशि का हिसाब न देने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सभी विभागाध्यक्ष अपने अधीनस्थ से खर्च राशि की रिपोर्ट तुरंत तलब कर प्रधान महालेखाकार व सरकार को भेजें।
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