नई दिल्ली- कोरोनाकाल में फिलहाल भगवान् देश के गरीबों का साथ दे रहा है वरना ये महामारी देश के गरीबों को कहीं का न छोड़ती। जिस तरह ये बीमारी फ़ैल रही है उसे देख लगता है कि अगर देश के गरीब इन बीमारियों का शिकार होते तो वो पूरी तरह से बर्बाद हो जाते। फिर भी जो गरीब इस माहमारी की चपेट में आये हैं वो भले ही जिन्दा बच गए हों लेकिन अस्पतालों में उनका इलाज हुआ होगा और उनके पास बीमा नहीं रहा होगा तो उनका हाल बेहाल हो गया होगा क्यू कि निजी अस्पतालों में कम से कम रोजाना का 15 से बीस हजार का बिल बन रहा है। बहुत बड़ी अस्पतालों में तो रोजाना एक लाख तक का बिल बन रहा है। एक से दो हफ्ते अस्पताल में रहने का मतलब साधारण अस्पतालों में डेढ़ से तीन लाख का बिल ऐसे में गरीब आदमी जिसके पास मेडिकल बीमा नहीं उसे तो घर वगैरा बेंचना पड़ रहा होगा।
कहा जा रहा है कि कोरोना का अभी तक कोई पक्का इलाज नहीं आया है। अस्पतालों में गरम चीजों का इस्तेमाल करवाया जाता है और कुछ गरम दवाएं दी जा रहीं हैं। पहले कहा जा रहा था कि मलेरिया में प्रयोग की जानें वाली दवाएं दी जा रहीं हैं।
जी न्यूज़ के वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र शर्मा ने एक ट्वीट किया है जिसमे उन्होंने लिखा है कि #COVID19 का इलाज डॉक्टरों के पास नहीं फिर भी अस्पतालों का बिल लाखों में। सरकार ने इंश्योरेंस कंपनियों को कहा कि कोविड-19 के बिल भी बाकी बीमारियों की तरह क्लीयर करो लेकिन इंश्योरेंस कंपनियाँ अस्पतालों पर भारी बिलों का आरोप लगा पल्ला झाड़ रही है। यानी #जनता_पस्त_सरकार_मस्त
#COVID19 का इलाज डॉक्टरों के पास नहीं फिर भी अस्पतालों का बिल लाखों में। सरकार ने इंश्योरेंस कंपनियों को कहा कि कोविड-19 के बिल भी बाकी बीमारियों की तरह क्लीयर करो लेकिन इंश्योरेंस कंपनियाँ अस्पतालों पर भारी बिलों का आरोप लगा पल्ला झाड़ रही है। यानी #जनता_पस्त_सरकार_मस्त pic.twitter.com/dQi9FUeHWj— Jitender Sharma (@capt_ivane) September 23, 2020
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