चंडीगढ़- बरोदा-उप चुनाव हरियाणा की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों के लिए अहम् है। भाजपा-जजपा सरकार ये चुनाव हर हाल में जीतना चाहेगी लेकिन टीम हुड्डा ये सीट हर हाल में फिर अपने नाम करना चाहेगी। यहाँ से कई भार से कांग्रेस ही चुनाव जीतती आई है इसलिए भाजपा चाहेगी कि इस बार ये सीट अपने नाम करे। भाजपा की राह ज्यादा आसान नहीं दिख रही है क्यू कि वर्तमान समय में टीम हुड्डा किसानों के मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने में कोई कमी नहीं छोड़ रहा। बर्खास्त पीटीआई भी सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़े हुए हैं। किसान युनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने आज बरोदा के किसानों से भाजपा को सबक सिखाने की अपील की जिसका असर भाजपा-जजपा गठबंधन के उमीदवार पर पड़ सकता है।
कांग्रेस इस सीट को बीते कुछ चुनावों से लगातार जीतती आ रही है। यह सीट कांग्रेस विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा के निधन के बाद ही खाली हुई है। कांग्रेस किसी सूरत में इसे हाथ से नहीं जाने देना चाहेगी। वह इस सीट को बरकरार रख जाटलैंड में अपनी पकड़ का अहसास कराना चाहेगी, वैसे भी यह नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा के प्रभाव वाला क्षेत्र है। ऐसे में हुड्डा जीत के लिए पूरा जोर लगाएंगे। गठबंधन सरकार में शामिल भाजपा-जजपा वोट गणित के आधार पर खुद को मजबूत मान रही हैं। वहीं सरकार होने का भी फायदा मिलेगा।
वर्तमान सरकार की बात करें तो जाट लैंड का झुकाव भाजपा की तरफ नहीं लिख रहा है और जजपा को भी लोग ज्यादा भाव नहीं दे रहे हैं। बरोदा उप-चुनाव के लेकर हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने एक बयान दिया था जिसमे उन्होंने कहा था कि बरोदा में सब चित हो जायेंगे। अनिल विज को उस बयान पर भाव मिलते नहीं दिख रहा है। कुछ इस तरह की प्रतिक्रियाएं आ रहीं हैं। एक भी व्यक्ति उनके पक्ष में लिखता नहीं दिखा।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भी लोग ज्यादा भाव नहीं दे रहे हैं और न ही जजपा नेता दुष्यंत चौटाला को मिल रहा है। कल हमें सोशल मीडिया पर एक सवाल पूंछा कि बरोदा उप-चुनाव कौन जीत सकता है तो अधिकतर लोगों का कहना है कि हुड्डा की टीम मोर्चा मार ले जाएगी। भाजपा-जजपा सरकार से लोग नाराज दिख रहे हैं। कोई न कोई कारण जरूर होगा।
फिलहाल सभी बड़ी पार्टियां इस चुनाव को जीतने का समीकरण लगाने में जुटी हैं। आचार संहिता लागू होने से कुछ समय पहले ही सीएम मनोहर लाल में बरोदा के लिए बड़े पॅकेज की घोषणा की थी लेकिन लगता नहीं उनका ये दांव कोई नया गुल खिलायेगा। हरियाणा की बात करें तो प्रदेश के लोगो का कहना है कि यहाँ अफसरशाही हावी है। जमीन पर विकास नहीं दिखता और हाल में शराब, घोटाला, रजिस्ट्री घोटाला सहित कुछ और घोटाले सरकार की छबि धूमिल कर रहे हैं। शायद यही वजह है लोग भाजपा-जजपा सरकार से नाराज हैं। फिलहाल हरियाणा में कोई ऐसा नेता नहीं है जो बरोदा का रुख पलट दे।
तमाम सांसद मोदी के नाम पर चुनाव जीते हैं। पिछले साल प्रदेश में भाजपा-जजपा सरकार बनी और नए मंत्री बने नेताओं को अभी लोग कम जानते हैं। कोरोना के कारण कई महीने से मंत्री प्रदेश में नहीं आ जा रहे हैं। पूर्व मंत्रियों की बात करें तो वो पिछली बार अपनी भी अपनी भी सीट नहीं बचा सके। बरोदा में कोई खास गुल शायद खिला सकें। भाजपा के पास मोदी हैं। संभव है कि भाजपा कुछ नया करने का प्रयास करे। फिलहाल टीम हुड्डा भाजपा पर भारी पड़ती दिख रही है।
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