फरीदाबाद- किसी बड़े शहर को जितनी जरूरत बड़े उद्योगपति, बड़े इंजीनियर, बड़े डाक्टर की है उतनी ही जरूरत सफाई कर्मी, दिहाड़ी मजदूर एवं अन्य तरह के मजदूरों की है क्यू कि आधुनिक दुनिया में बड़े लोग अपने कमरे की सफाई तक करने मे हिचकिचाते हैं। उद्योगों को मजदूरों की जरूरत पड़ती है। बिना मजदूर के उद्योग अधूरे हैं। किसी निर्माण के लिए भी लेबर और मजदूर की जरूरत पड़ती है क्यू कि बड़े लोग एक ईंट भी सार्वजनिक रूप से नहीं उठा सकते। एक ईंट उठाने में तमाम बड़े लोगों का पसीना छूट जाता है जबकि मजदूर रोजाना हजारों ईंट कई मंजिली इमारत तक पहुंचा देते हैं। कोरोना काल में देश के तमाम बड़े शहरों से मजदूर गायब हैं। सब अपने गांव चले गए जो अब शहरों में वापसी के मूड में नहीं हैं। इसके कई कारण भी हैं।
एक दिन पहले हमने उत्तर प्रदेश के कई जिलों का दौरा किया तो तमाम चैंकाने वाली जानकारियां मिली। उत्तर प्रदेश में जिनके खेत हैं और खेतों से काफी मात्रा में गेंहू चावल पैदा होता है उन्हें भी योगी सरकार डबल राशन दे रही है। राशन कार्ड पर गेंहू ही नहीं चावल भी मिल रहा है और लाखों ऐसे घर हैं जिनके घरों में कोरोना काल में राशन का भण्डार लग गया है। योगी सरकार प्रवासियों का खास ख्याल रख रही है और उन्हें कई अन्य सुविधाएँ भी दे रही है। राशन डिपो पर किसी को धक्के नहीं मिल रहे हैं। प्रदेश के 60 फीसदी से ज्यादा लोग यूपी सरकार के कामकाज से खुश हैं। दुबारा योगी सरकार बन सकती है लेकिन उत्तर प्रदेश से सटे हरियाणा में जहाँ हरियाणा के एक प्रमुख जिला फरीदाबाद जिसे उद्योगनगरी कहा जाता है और एक समय में इस जिले का पूरे देश ही नहीं दुनिया में अलग रुतबा था। सुई से लेकर हवाई जहाज इसी उद्योगनगरी में बनती थीं और सेना के लिए आधुनिक उपकरण भी इसी जिले में लेकिन अब इस जिले के लाखों मजदूर अपने गांव जा चुके हैं। इनमे से तमाम शायद ही फरीदाबाद लौटें क्यू कि इनके प्रदेशों में इन्हे काफी सुविधाएँ मिलने लगीं हैं। फरीदाबाद की बात करें तो आज भी हमने एक राशन डिपो का दौरा किया। डिपो धारक का कहना था कि इस माह सिंगल राशन दिया जा रहा है क्यू कि ऊपर से राशन नहीं आया।
फरीदाबाद में राशन घोटाला हो रहा है। कई महीने से हमने इसके कई सबूत दिए लेकिन राशन माफिया शायद ऊंची पहुँच के हैं और उन पर अब भी कोई लगाम नहीं लगा पा रहा है। प्रदेश के अन्य जिलों में भी ऐसा ही हो रहा है। गरीब, मजदूर, प्रवासी दुखी हैं। उन्हें राशन डिपो पर सिर्फ धक्के मिल रहे हैं राशन नहीं। शायद यही कारण है कि हाल में हमारे ऑनलाइन सर्वे में हरियाणा के 27 फीसदी लोग ही वर्तमान सरकार के कामकाज से खुश दिखे। 73 फीसदी लोग नाराज हैं। प्रदेश में भ्रष्ट तंत्र सरकार पर हावी है। अगर भ्रष्टों के खिलाफ कोई आवाज उठाता है तो सरकार उसी को अपना दुश्मन समझने लगती है। सत्ताधारी स्थानीय नेता भी खामोश रह भ्रष्ट का ही साथ देते हैं जैसे चोर-चोर मौसेरे भाई हों। इसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।
जानकारी मिल रही है कि फरीदाबाद के लघु उद्योगों ही नहीं बड़े उद्योगों को मजदूरों की जरूरत है, किसी निर्माण के लिए राजमिस्त्री और लेबर की जरूरत है जो नहीं मिल रहे हैं। हमने यूपी में देखा कि शहरों से गए मजदूर अब वहीं काम करने लगे हैं और कम पैसे मिल रहे हैं तब भी वो गांव नहीं छोड़ना चाहते क्यू कि योगी सरकार राशन से उनका घर भर रही है जबकि फरीदाबाद में ऐसा नहीं हो रहा है। यहाँ गरीबों, मजदूरों के हिस्से का राशन भ्रष्ट डकार ले रहे हैं। कई वर्षों से राशन माफिया गरीबों, मजदूरों, प्रवासियों के पेट पर लात मार रहे हैं लेकिन इन गरीबों की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है। स्थानीय सत्ताधारी नेता खामोश रहते हैं जिन पर भी बड़े सवाल उठ रहे हैं।
हमने उत्तर प्रदेश का दौरा किया तो पता चला कि यूपी में राजमिस्त्री 400 से पांच सौ रूपये रोज पर जबकि लेबर ढाई सौ से तीन सौ रूपये रोज पर काम कर रहे हैं और फरीदाबाद में इससे दोगुना देने पर भी मजदूर नहीं मिल रहे हैं। खामियाजा शहर के उद्योगपति उठा रहे हैं। जब उद्योग ठप्प रहेंगे तो वो टैक्स कहाँ से देंगे। आने वाले समय में सरकार का आर्थिक नुक्सान होना संभव है। बिहार के मजदूर भी फरीदाबाद में थे जो अपने गांव जा चुके हैं। जल्द बिहार में विधानसभा चुनाव हैं। वहाँ की सरकार भी मजदूरों के लिए काफी कुछ कर रही है ताकि मजदूर चुनाव में सरकार का साथ दें।
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