भिवानी 14 अगस्त 2020-हरियाणा को नशा मुक्त बनाने के लिए पहलवान बिजेंद्र सिंह 15 अगस्त से सम्पूर्ण हरियाणा में जागरूक यात्रा के लिए निकलेंगे। प्रैस को दी विज्ञप्ति में उन्होंने बताया कि आज का युवा वर्ग विभिन्न व्यसनों मंे घिरा हुआ है और सही रास्ते से भ्रमित हो रहा है उसको अगर सही रास्ते पर लाना है तो घर के बुजुर्गों को व बुद्धिजीवी लोगों को आगे आना होगा, क्योंकि युवाओं से ही देश व राष्ट्र का निर्माण होता है। अगर युवा वर्ग नशे से दूर रहेगा तो वह असंभव कार्य को संभव करने में सक्षम होगा।
उन्होनें बताया कि नशा एक ऐसी बुराई है जो हमारे समूल जीवन को नष्ट कर देती है। नशे की लत से पीडि़त व्यक्ति परिवार के साथ समाज पर बोझ बन जाता है। युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा नशे की लत से पीडि़त है। सरकार इन पीडि़तों को नशे के चुंगल से छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति अभियान चलाती है, शराब और गुटखे पर रोक लगाने के प्रयास करती है। नशे के रूप में लोग शराब, गाँजा, जर्दा, ब्राउन शुगर, कोकीन, स्मैक आदि मादक पदार्थों का प्रयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के साथ सामाजिक और आर्थिक दोनों लिहाज से ठीक नहीं है। नशे का आदी व्यक्ति समाज की दृष्टी से हेय हो जाता है और उसकी सामाजिक क्रियाशीलता शून्य हो जाती है, फिर भी वह व्यसन को नहीं छोड़ता है। धूमपान से फेफड़े में कैंसर होता हैं, वहीं कोकीन, चरस, अफीम लोगों में उत्तेजना बढ़ाने का काम करती हैं, जिससे समाज में अपराध और गैरकानूनी हरकतों को बढ़ावा मिलता है। इन नशीली वस्तुओं के उपयोग से व्यक्ति पागल और सुप्तावस्था में चला जाता है। तम्बाकू के सेवन से तपेदिक, निमोनिया और साँस की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसके सेवन से जन और धन दोनों की हानि होती है।
उन्होंने आगे बताया कि हिंसा, बलात्कार, चोरी, आत्महत्या आदि अनेक अपराधों के पीछे नशा एक बहुत बड़ी वजह है। शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए एक्सीडेंट करना, शादीशुदा व्यक्तियों द्वारा नशे में अपनी पत्नी से मारपीट करना आम बात है। मुँह, गले व फेफड़ों का कैंसर, ब्लड प्रैशर, अल्सर, यकृत रोग, अवसाद एवं अन्य अनेक रोगों का मुख्य कारण विभिन्न प्रकार का नशा है। वर्तमान में देश के 20 प्रतिशत राज्य नशे की गिरफ्त में हैं। हमारे समाज में नशे को सदा बुराइयों का प्रतीक माना और स्वीकार किया गया है। इनमें सर्वाधिक प्रचलन शराब का है। शराब सभी प्रकार की बुराइयों की जड़ है। शराब के सेवन से मानव के विवेक के साथ सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। वह अपने हित-अहित और भले-बुरे का अन्तर नहीं समझ पाता। शराब के सेवन से मनुष्य के शरीर और बुद्धि के साथ-साथ आत्मा का भी नाश हो जाता है। शराबी अनेक बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। अमीर से गरीब और बच्चे से बुजुर्ग तक इस लत के शिकार हो रहे हैं।
Post A Comment:
0 comments: