फरीदाबाद: 6 से 12 वर्ष के स्कूली छात्रों से निजी स्कूल इन दिनों केवल इसलिए 1-1 घंटे के ऑनलाइन टेस्ट ले रहे हैं कि वे यह कह सके कि उन्होंने एक माह ऑनलाइन पढ़ाई कराकर बच्चों की परीक्षा भी ले ली,अब तो उन्हें फीस लेने का हक हो गया है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने कहा है स्कूलों द्वारा दी जा रही ऑनलाइन पढ़ाई से मासूमों छात्रों को आंख, कान, रेडिएशन, मानसिक और शारिरिक रोगों की भट्टी में झोंका जा रहा है।
6 से 12 वर्ष के इन मासूमों को 4 घंटे ऑनलाइन क्लास के लिए कान में ईयर फोन लगाकर मोबाइल के 2 इंच के स्क्रीन में आंखें गड़ाकर बैठना पड़ रहा है। फिर 3 घंटे व्हाट्सएप पर होम वर्क करना पड़ रहा है। यह सब करने के बाद अब निजी स्कूलों ने फीस जमा कराने के मैसेज भेजने शुरू कर दिए हैं।
मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व जिला सचिव डॉ मनोज शर्मा ने कहा है कि स्कूलों की ऑनलाइन क्लासेज बच्चों को नेत्र रोग, कर्ण रोग, मनोरोग और शारीरिक रोगों के तरफ तेजी से धकेल रही है। जब केंद्र व राज्य सरकार ने शिक्षा सत्र 2020- 21 में पाठ्यक्रम में 30% की कटौती करने व पढ़ाई में और भी कई छूट देने का एलान कर दिया है तो उसके बाद भी क्यों तो स्कूल प्रबंधक यह ऑनलाइन पढ़ाई का ड्रामा कर रहे हैं और क्यों अभिभावक उनके झांसे में आकर के अपने बच्चों का भविष्य खराब कर रहे हैं। मंच का कहना है कि स्कूल प्रबंधक यह इसलिए कर रहे हैं कि जिससे वह कह सके कि उन्होंने अप्रैल में ऑनलाइन पढ़ाई कराई है जिसकी एवज में ही है फीस मांग रहे हैं।
मंच ने अभिभावकों से कहा है कि वह अपने बच्चों के साथ जुल्म ना करें अगर यह ऑनलाइन क्लास आगे चलती रही तो फिर लेकर घूमते रहना बच्चों को चिकित्सकों के पास। कोई स्कूल वाला मदद के लिए नहीं आएगा। अभिभावक चिंता ना करें केंद्र व राज्य सरकार बच्चों की पढ़ाई को लेकर उनके हित में फैसला लेने जा रही है। मंच ने स्कूल प्रबंधकों से भी आग्रह किया है कि वे बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ ना करें सिर्फ फीस लेने को जायज ठहराने के लिए किए जा रहे इस ऑनलाइन पढ़ाई के ड्रामा को बंद करें और कमीशन खाने के चक्कर में प्राइवेट प्रशासकों की मोटी मोटी और गैरजरूरी किताबों को न लगाकर सीबीएसई, हरियाणा बोर्ड द्वारा तय की गई एनसीईआरटी की किताबें से ही आगे स्कूल खुलने पर पढ़ाई कराएं। पहले कोरोना से जंग जीतनी है इससे जब देश बचेगा, समाज बचेगा तो हम सब बचेंगे, और पढ़ाई भी बचेगी।
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