फरीदाबाद: वो बोल नहीं सकते हैं। वो किसी समाजसेवी संस्था के लोगों को या अधिकारियों को फोन नहीं कर सकते हैं कि हमारे यहां राशन नहीं है, हम भूख से मर रहे हैं। शायद यही वजह है कि फरीदाबाद के हजारों बेजुबानों पर किसी की नजर नहीं जा रही है। कुछ गिनती के लोग ही बेजुबानों का ध्यान दे रहे हैं। धरती पर विविध प्रकार के जीव जंतु हैं। धरती पर मौजूद सभी जीव-जंतु और इंसान एक दुसरे के पूरक हैं लेकिन लॉकडाउन के दौरान इंसानों पर ही ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इक्का दुक्का लोग ही पशुओं को चारा व् अन्य चीजें खिलाते दिख रहें है। कुछ इंसान तो इन दिनों राशन से अपने घर भी भरते देखे गए लेकिन बेचारे पशु? कहीं कहीं लोग एक रोटी न दे उन्हें डंडे मार रहे हैं।
बल्लबगढ़ की त्रिखा कालोनी में रहने वाले योगेश फौजदार जो मेट्रो अस्पताल में काम करते हैं। लॉकडाउन के शुरू से ही वो हर तरह के जरूरतमंदों का ख़याल रख रहे हैं। योगेश जहाँ भी पशुओं को देखते हैं उनके लिए चारा व् अन्य चीजें ले जाते हैं। योगेश का कहना है कि पशु किसी को अपनी समस्या बता नहीं सकते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि इनके पेट नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझसे जो कुछ भी हो पा रहा है मैं इन बेजुबानों के लिए कर रहा हूँ। उन्होंने शहर के लोगों से अपील की कि पशुओं को नजरअंदाज न करें। इनकी भी सेवा करें।
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