नई दिल्ली- कोरोना ने शायद मानवाधिकार आयोग की जुबानें कुतर दीं हैं या सिर्फ इस आयोग को पत्थरबाज और नक्सलियों की मौतें ही दिखतीं हैं। अब इस आयोग पर फिर बड़े सवाल उठ रहे हैं क्यू कि महाराष्ट्र के पालघर जिले में जूना अखाड़े के दो साधुओं की निर्मम हत्या किए जाने पर साधु-संतों से लेकर सोशल मीडिया तक पर लोगों में गुस्सा है लेकिन मानवाधिकार आयोग के लोग खामोश हैं। इस आयोग का दोगलापन कई बार दिख चुका है। इस आयोग के लोग अधिकतर अर्बन नक्सलियों का ही साथ देते दिखते हैं जैसे WHO चाइना का साथ दे रहा है। चाइना ने कोरोना पूरी दुनिया में फैलाया और अब उसने चमगादड़ बाजार भी खुलवा दी ये WHO खामोश है जबकि दुनिया के कई बड़े देश इस बाजार के खुलने से हैरान हैं। इस WHO चीन का पालतू संगठन बता रहे हैं जैसे भारत के लोग मानवाधिकार आयोग को अर्बन नक्सलियों का पालतू आयोग बता रहे हैं। वामपंथी मीडिया भी खामोश है जबकि ये लोग उस समय भी बवाल खड़ा कर चुके हैं जब एक चोर जनता के द्वारा एक प्रदेश में मारा गया था।
साधुओं की ह्त्या के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने चेतावनी दी कि अगर हत्यारों पर कार्रवाई नहीं हुई तो महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ आंदोलन होगा। बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रवक्ता बैजयंत जय पांडा ने भी घटना को शर्मनाक बताते हुए उद्धव सरकार पर निशाना साधा।
उधर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी हत्या के आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। फडणवीस ने ट्वीट किया, 'पालघर में मॉब लिंचिंग घटना का वीडियो हैरान करने वाला और अमानवीय है। ऐसी विपदा के समय इस तरह की घटना और भी ज्यादा परेशान करने वाली है। मैं राज्य सरकार से गुजारिश करता हूं कि वह इस मामले की हाई लेवल जांच करवाएं और जो दोषी हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।
आपको बता दें कि एक अफवाह फैलाकर दोनों साधुओं को पीट-पीट कर बेरहमी से मार ड़ाला गया। साधुओं के ड्राइवर की भी हत्या कर दी गई और सूचना के बाद पहुँची पुलिस पर भी हमला किया गया और एक वरिष्ठ अधिकारी सहित पांच पुलिसकर्मी भी घायल हैं। देखें सोशल मीडिया पर कैसे आक्रोशित हैं लोग
आज भगवा के साथ हुए नरसंहार पर मुझे भारत का मौन खल रहा ?— Swami Dipankar (@swamidipankar) April 19, 2020
क्या संन्यासी साधु संत का कोई मानवाधिकार नहीं होता?
हिंदुत्व का राग अलापने वाली भगवान ध्वज लेकर चलने वाली सरकार क्या मर चुकी है ?
क्या सनातन के संहार के बाद देश खड़ा रह सकेगा?
कोई अन्य संप्रदाय का धर्मगुरू होता फिर?
महाराष्ट्र के पालघर में 2 संत और उनके ड्राइवर को बड़े ही बेरहमी से लिंचिंग कर मौत के घाट उतार दिया गया।ये घटना वीरवार की है।आज तक सारे liberals पूरी तरह से ख़ामोश है।— Sambit Patra (@sambitswaraj) April 19, 2020
कोई लोकतंत्र या संबिधान की दुहाई नहीं दे रहा।
देंगे भी क्यों ..ये तो संतो की मृत्यु हुई है
कौन पूछता है संतो को?? pic.twitter.com/iAyE0Fberz
मुंबई के पालघर में 2 बुजुर्ग साधुओं को भीड़ ने बर्बरता से मार दिया न किसी ने अवार्ड लौटाया न किसी ने तख्ती लटकाई न किसी ने मोमबत्ती जलाया— पिंकू शुक्ला (@shuklapinku) April 19, 2020
क्या ये Mob Lynching नही है ?
खैर ये साधु ही तो हैं..मर गये तो क्या कोई तबरेज थोड़ी ना हैं जो लोकतंत्र और संविधान ख़तरे में आ जायेगा
एक अखलाख और तबरेज मरा था.....भारत मे हर एक इंसान खतरे में आ गया था...मीडिया.....फ़िल्म जगत....देश छोड़ने की बात करने लगा था...और अब मुम्बई में दो निर्दोष साधुओं की हत्या पर किसी महान इंसान के मुँह में से 2 शब्द भी नही निकले....!!— पिंकू शुक्ला (@shuklapinku) April 19, 2020
Post A Comment:
0 comments: