चंडीगढ़, 18 अप्रैल- हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि वे राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ईंट भट्ठों के संचालन पर लगाए गए प्रतिबंध को तुरंत हटवाएं। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन अवधि के दौरान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में काफी हद तक पर्यावरण स्वच्छ हुआ है और हरियाणा का लगभग 57 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र एनसीआर क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
दुष्यंत चौटाला ने यह मांग आज केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा नई दिल्ली से विडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों के ग्रामीण विकास मंत्रियों के साथ हुई बैठक में रखी।
दुष्यंत चौटाला ने नरेन्द्र सिंह तोमर से यह भी मांग की कि मनरेगा के तहत दी जाने वाली मजदूरी में दोहरी प्रविष्टियों को रोकने के लिए केन्द्र सरकार एपीआई के माध्यम से आधार कार्ड का डाटा राज्य को उपलब्ध करवाए ताकि राज्य अपने डाटाबेस से लाभपात्र के खातों की जांच कर सके।
उप मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन अवधि के दौरान हर क्षेत्र में मजदूरों की कमी महसूस की जा रही है और बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने मूल राज्यों को पलायन कर गए हैं। इसलिए मनरेगा के मजदूरों को कृषि क्षेत्र के कार्यों में लगाने की अनुमति दी जाए, चाहे वह फसल कटाई हो, मंडियों में लोडिंग-अनलोडिंग या गोदामों में भंडारण का कार्य हो। उन्होंने इस बात की भी जानकारी कहा कि हरियाणा की तरफ से केन्द्र सरकार को इस बारे पत्र भी लिखा जा चुका है। किसान चाहे तो मनरेगा के मजदूरों को अपनी तरफ से मजदूरी अलग से दे सकता है।
दुष्यंत चौटाला ने नरेन्द्र सिंह तोमर को इस बात से भी अवगत करवाया कि हरियाणा में सरसों की खरीद 15 अप्रैल से शुरू हो चुकी है, जबकि गेहूं की खरीद आगामी 20 अप्रैल से शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राज्य के 3000 आवेदन लम्बित हैं और 15 मई से पहले राज्य को ‘आवास प्लस’ सर्वे के तहत इसे पूरा करने का लक्ष्य दिया जाए।
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि कोरोना महामारी से लडऩे के लिए पीपीई किट्स व मास्क बनाने में स्वयं सहायता समूहों द्वारा विशेष योगदान दिया गया है। इन समूहों ने 8.50 लाख मास्क उपलब्ध करवाएं हैं। कुछ स्वयं सहायता समूहों द्वारा उल्लेखनीय कार्य भी किया गए हैं, जिनमें 2500 पीपीई किट्स, स्थानीय सहकारी चीनी मिलों के साथ मिलकर सेनेटाइजर की बोतलें बनाना, 31000 से अधिक लोगों को पैकेटों के माध्यम से खाना व सूखा राशन के लिए सहयोग देना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि लगभग 4700 स्वयं सहायता समूहों को बैंक लिंकेज के रूप में 103 करोड़ रुपये भी उपलब्ध करवाए गए हैं।
विडियो कान्फ्रेंसिंग के दौरान श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने सभी राज्यों से आग्रह किया कि वे आने वाले समय में जल सरंक्षित करने के लिए केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को राज्य अपने-अपने विभिन्न वाटरशैड्स स्थलों का दौरा करवाएं। सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों की जिला परिषदों के साथ बैठकें करवाएं क्योंकि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन अवधि के दौरान अतिरिक्त उपायुक्त अन्य कार्यों में लगे हैं। इसी प्रकार, प्रधानमंत्री आवास योजना का ग्रामीण क्षेत्रों में फोकस रहेगा क्योंकि शहरी क्षेत्रों में इस योजना का लक्ष्य लगभग पूरा हो चुका है। इस योजना के तहत 1 करोड़ 21 लाख आवास बनने हैं और कई राज्यों को इसके अन्तर्गत तीसरी व चौथी किस्त भी जारी हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि मनरेगा के मजदूरों को प्रधानमंत्री आवास योजना के निर्माण कार्यों में लगाया जाए इसके लिए कुछ शर्तां के साथ ईंट भट्ठों के संचालन की अनुमति दी गई है। राज्यों को निर्माण कार्यों के लिए सीमेंट, जैसी अन्य आवश्यक सामग्री की उपलब्धता अपने स्तर पर करवानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना की अधिक से अधिक गतिविधियां बढ़ानी होंगी तथा रोजगार व आजीविका से सम्बंधित कार्यों को जल्द से जल्द पूरा करना होगा।
नरेन्द्र सिंह तोमर ने राज्यों द्वारा कोरोना महामारी से लडऩे के लिए उठाए जा रहे कदमों की सराहना भी की और आशा व्यक्त की कि आगे की लॉकडाउन अवधि में भी स्वास्थ्य विभाग व नगरनिगम व अन्य विभागों के कर्मचारी इसी तरह से डटकर लड़ते रहेंगे।
बैठक में विकास एवं पंचायत विभाग के प्रधान सचिव सुधीर राजपाल, निदेशक, ग्रामीण विकास, श्री हरदीप सिंह के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
Post A Comment:
0 comments: