नई दिल्ली: नदी की धारा के विपरीत तैराक बहुत कम ही इस किनारे से उस किनारे तक पहुँचते हैं। अधिकतर मजधार में डूब जाते हैं। देश में कोरोना महामारी को लेकर लाकडाउन चल रहा है। देश के लगभग 80 फीसदी लोग सरकार के साथ कंधे-से कन्धा मिलकर चल रहे हैं और एक तरह से इस बीमारी को भगाने के लिए एक तरह की जंग लड़ रहा है लेकिन देश के ही कुछ लोग सरकार की खिल्ली ऐसे उड़ा रहे हैं जैसे वो इस देश के हैं ही नहीं। सुबह सोशल मीडिया पर एक ट्रेंड चला जिसमे लिखा गया, हम दिए नहीं जलाएंगे, ट्रेंड में जो लोग शामिल थे उनकी पड़ताल करने पर पता चला कि ये वही लोग हैं जिन्होंने हाल में दिल्ली में दंगा करवा 53 लोगों को मरवा डाला। इन्होने अल्पसंख्यकों को भड़का दिल्ली की सड़क इन महीने तक जाम करवाया और इन्होने उस समय एक नारा दिया और ट्विटर पर ट्रेंड चलवाया कि हम कागज़ नहीं दिखाएंगे।
ये वही लोग हैं जिन्हे अर्बन नक्सली कहा जाता है। ये ज्यादा पढ़े लिखे हैं और देश विरोधी संगठन इन्हे मोटा माल देता है। इनमे से कई मीडिया में भी हैं। देश के अल्पसंख्यक समाज के लोग इन अर्बन नक्सलियों के बहकावे में आकर अपनी जान गँवा रहे हैं। ये अर्बन नक्सली और इनके वामपंथी साथी मिलकर अब भी अल्पसंख्यकों को भड़का रहे हैं और इनके भड़कावे में आकर इस समुदाय के कम पढ़े लिखे लोग तबलीगी जमात को सही बता रहे हैं। जबकि इसी जमात के कारण देश में कोरोना चार दिनों में चार गुणा बढ़ गया। अल्पसंख्यक समाज के कुछ लोग अर्बन नक्सलियों की साजिश नहीं समझ पा रहे हैं।
उनके चंगुल में फंस रहे हैं। इस समाज के लोगों का शिक्षित होना अति आवश्यक है वरना कुछ लोग अपने निजी फायदे के लिए समाज के लोगों को भड़का अपना उल्लू सीधा करते रहेंगे और इस समाज को बदनाम करवाते रहेंगे। वर्तमान में देखा जा रहा है कि हर कोई इस समाज के बारे में गलत सोंच रख रहा है ,कारण निजामुद्दीन की तबलीगी जमात और उसके कारण लगभग 270 जिलों में फैला कोरोना और अब भी देश के कई शहरों में समाज के लोग लाकडाउन का पालन नहीं कर रहे हैं। पुलिस और डाक्टरों पर पत्थर बरसा रहे हैं। जो ऐसा कर रहे हैं वो अर्बन नक्सलियों के कारण ऐसा कर रहे हैं ,कई बार ऐसे लोग हरियाणा अब तक के पास फोन करते हैं और उदाहरण अर्बन नक्सलियों के ट्वीट का देते हैं। उनके उदाहरण से लगता है कि वो सच में अर्बन नक्सलियों के बहकावे में आ चुके हैं। इसलिए ये देश के खलनायक कहे जा रहे हैं जबकि अर्बन नक्सलियों को मोटा माल मिल रहा है।
वैसे अर्बन नक्सली और वामपंथी धारा के विपरीत चल रहे हैं। जल्द ये मजधार में डूबेंगे और यही कारण है गत वर्ष लोकसभा चुनावों में तमाम वामपंथियों की जमानत जब्त हो गई। जनता इनका खेल समझती जा रही है। ऐसे मौके पर जब देश के लोग जरूरतमंदों की सहायता कर रहे है, सरकार के साथ खड़े हैं तो ये अर्बन नक्सली अलग ही साजिश रच रहे हैं। एक भी वामपंथी किसी जरूरतमंद की मदद करते नहीं दिखा जबकि कई मस्जिदों में भी जरूरतमंदों की मदद करते मुस्लिम समाज के लोग देखे गए।
वैसे अर्बन नक्सली और वामपंथी धारा के विपरीत चल रहे हैं। जल्द ये मजधार में डूबेंगे और यही कारण है गत वर्ष लोकसभा चुनावों में तमाम वामपंथियों की जमानत जब्त हो गई। जनता इनका खेल समझती जा रही है। ऐसे मौके पर जब देश के लोग जरूरतमंदों की सहायता कर रहे है, सरकार के साथ खड़े हैं तो ये अर्बन नक्सली अलग ही साजिश रच रहे हैं। एक भी वामपंथी किसी जरूरतमंद की मदद करते नहीं दिखा जबकि कई मस्जिदों में भी जरूरतमंदों की मदद करते मुस्लिम समाज के लोग देखे गए।
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